चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बुधवार को एक पुरानी घटना को याद करते हुए बताया कि कैसे कुछ दशक पहले एक उच्च जाति के गांव में चुनाव प्रचार के दौरान वह उस समय गांव से बाहर चले गए थे जब कुछ लोगों ने उनके एक दलित सहायक को अपमानित करने की कोशिश की थी।

सिंह ने कहा कि जब राजीव गांधी ने अपने भाई संजय गांधी की मृत्यु के बाद पहली बार उत्तर प्रदेश के अमेठी से चुनाव लड़ा था, तो निर्वाचन क्षेत्र के चार इलाकों में से एक के लिए चुनाव प्रचार संबंधी कार्य का जिम्मा उन्हें सौंप दिया गया था।

सिंह ने दलित विरोधी मानसिकता की आलोचना करते हुए कहा कि यह अभी भी देश में मौजूद है।

उस घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "एक अनुसूचित जाति का युवा, जो मेरी मदद करने के लिए नियुक्त था, एक ऊंची जाति के प्रभुत्व वाले गाँव में प्रवेश करने से पहले जीप से उतरना चाहता था, लेकिन मैंने उसे उतरने की अनुमति नहीं दी। जब ग्रामीणों ने मुझे पानी दिया, तो वह मेरे बगल में खड़ा था, जिसे देख वहां के लोगों ने उसे बाहर जाने के लिए कहा, लेकिन मैंने यह स्पष्ट कह दिया कि वह अकेले बाहर नहीं जाएगा, मैं भी उसके साथ जाऊंगा। इसलिए मैं भी उन्हें यह कहते हुए उस जगह से निकल गया कि ‘‘वोटां पाओ या ना पाओ, आपा जा रह्ये हैं’’ (आप हमें वोट दें या ना दें, हम जा रहे हैं) उन्होंने बुधवार को जारी एक आधिकारिक बयान में उस घटना को याद किया।

बी आर अंबेडकर की जयंती पर राष्ट्र के लिए उनके योगदान को याद करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि एक सूबेदार के बेटे के रूप में, उन्होंने कड़ी मेहनत की और उस समय पढ़कर इतना आगे बढ़े, जिस समय अधिकतर लोग स्कूल नहीं जाते थे।

सिंह ने कहा कि वह एक ऐसे अद्भुत व्यक्ति को श्रद्धांजलि देते हुए गर्व महसूस कर रहे हैं, जिन्होंने संविधान का मसौदा तैयार किया, जिस पर देश अभी भी चल रहा है।

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार सभी योजनाओं के तहत कम से कम उसकी 30 प्रतिशत धनराशि राज्य की अनुसूचित जाति की आबादी के कल्याण के लिए खर्च करेगी।