नयी दिल्ली : लोकसभा और राज्यसभा के पीठासीन अधिकारियों द्वारा संसद की स्थायी समितियों की बैठक डिजिटल माध्यम से कराए जाने से इनकार करने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने शनिवार को कहा कि वह उनके फैसले से निराश हैं क्योंकि महामारी पर चर्चा करना सरकारी या रक्षा से जुड़ा कोई गोपनीय मुद्दा नहीं है।

चिदंबरम ने कहा कि महामारी के दौरान स्थायी समितियों की बैठकों की अनुमति देने के लिए संसद के दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों पर जनता की तरफ से दबाव बनाना चाहिए।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘पीठासीन अधिकारियों के निष्कर्ष बेहद निराशाजक हैं। दुनिया भर में संसदों की बैठकें हो रही है। हमारी संसद को भी बहुत गंभीर हालात में बैठक करनी चाहिए। लेकिन अगर संसद की कार्यवाही नहीं होती है तो कम से कम डिजिटल तरीके से संसदीय समितियों की बैठकें तो होनी ही चाहिए।’’

चिदंबरम ने कहा, ‘‘इसमें गोपनीयता जैसी क्या चीज है? संसद की स्थायी समिति की बैठक के बाद अगले दिन अखबारों में खबरें छपती है। महामारी की स्थिति पर चर्चा करने में क्या गोपनीयता है। हम रक्षा संबंधी गोपनीय मामलों पर चर्चा नहीं कर रहे। हम परमाणु मामलों पर या रक्षा तैयारी अथवा आंतरिक सुरक्षा पर चर्चा नहीं कर रहे।’’

फैसले पर निराशा जताते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि पीठासीन अधिकारियों को रक्षा या रक्षा तैयारियों और महामारी की स्थिति जैसे विषयों पर अंतर समझना चाहिए।

कांग्रेस के नेता शक्तिसिंह गोहिल ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में ‘‘शासन का गुजरात मॉडल’’ चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात में विधानसभा का सत्र छह महीने में केवल एक दिन के लिए हुआ और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए अब संसद में भी यही हो रहा है।

विपक्षी नेताओं ने महामारी के दौरान डिजिटल माध्यम से संसद की स्थायी समितियों की बैठकें आयोजित कराने की मांग की थी।