शिवमोगा (कर्नाटक), 26 नवंबर (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि उनकी सरकार समानता सुनिश्चित करने के लिए राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने पर दृढ़ता से विचार कर रही है।

शुक्रवार को यहां अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान का प्रस्तावना समानता और बंधुत्व की बात करता है।

यूसीसी को लागू करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए उन्होंने कहा, “.. हम दीनदयाल उपाध्याय के समय से समान नागरिक संहिता के बारे में बात कर रहे हैं। देश में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर इस पर गंभीर विचार चल रहा है। सही समय आने पर इसे लागू करने का भी इरादा है।” उन्होंने कहा, “... हम यह भी चर्चा कर रहे हैं कि इसे अपने राज्य में कैसे (लागू) किया जाए।” बोम्मई ने कहा कि राज्य सरकार इसे लागू करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगी।

मुख्यमंत्री ने किया, “मैं बहुत स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि हम न केवल उन चीजों की व्याख्या करेंगे जो लोगों के कल्याण को संभव बना सकती है और समानता ला सकती है, बल्कि इसे लागू करने के लिए उपाय भी करेंगे।”

कर्नाटक में भाजपा सरकार ने जो धर्मांतरण विरोधी कानून पेश किया है, उस पर बोम्मई ने कहा कि कई लोगों ने इसे गैरसंवैधानिक कहा, लेकिन अब सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश पारित किया है, जिसमें कहा गया है कि जबरन धर्म परिवर्तन एक अपराध है।

उन्होंने कहा, “जब भी हम समाज में समानता लाने के लिए सुधार शुरू करने के बारे में सोचते हैं, तो अक्सर इसकी गलत व्याख्या की जाती है।”

देश के कुछ भाजपा शासित राज्यों जैसे असम और उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता को लागू करने की अपनी इच्छा व्यक्त की है।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी का दृढ़ विश्वास है कि श्रद्धालुओं को मंदिरों का प्रबंधन करना चाहिए। आने वाले दिनों में इस दिशा में प्रावधान किए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि केवल भाजपा ही मूल्य आधारित राजनीति कर सकती है, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के लिए आरक्षण बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम ‘क्रांतिकारी’ थे।