नयी दिल्ली: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को विपक्ष के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) चुनावों से पहले मतदाताओं के ध्रुवीकरण के लिए समान नागरिक संहिता के मुद्दे का इस्तेमाल एक औजार के रूप में करती है।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनका राज्य इसे जल्द ही लागू करेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि हाल ही में एक युवती के कथित बलात्कार और हत्या जैसी घटनाओं की पुनरावत्ति नहीं हो। उन्होंने कहा कि "देव भूमि" में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं है जो ऐसे अपराधों में लिप्त हैं।

धामी ने एचटी लीडरशिप समिट को संबोधित करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति मसौदे पर काम कर रही है जो जल्द ही तैयार हो जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘हम इसे जल्द ही लागू करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि नागरिक संहिता लागू करना राज्य में चुनावों तक सीमित नहीं है और ‘‘हमने जो कहा था, चुनावों के बाद उस पर काम किया।"

संविधान के अनुच्छेद 44 और उच्चतम न्यायालय की कुछ टिप्पणियों का जिक्र करते हुए धामी ने कहा कि उच्च न्यायपालिका का मानना ​​है कि राज्यों को इसे लागू करना चाहिए।

उत्तराखंड के एक रिसॉर्ट में काम करने वाली महिला के कथित बलात्कार और हत्या को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में, मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि लोगों का उत्तेजित होना स्वाभाविक था लेकिन सभी आरोपियों को पकड़ लिया गया है।

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार सुनिश्चित करेगी कि ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं हों।

धामी ने इस बात को भी खारिज कर दिया कि रिसार्ट को गिराने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किए जाने से महत्वपूर्ण साक्ष्य नष्ट हो गए। उन्होंने कहा कि ढांचे को तोड़ने से पहले सबूतों को संरक्षित किया गया था और उनकी वीडियोग्राफी भी की गई थी।