कोच्चि: केरल उच्च न्यायायल ने कोट्टियूर दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराए गए पदच्युत पादरी को निचली अदालत से मिली 20 साल की सजा बुधवार को घटाकर 10 साल कर दी।

न्यायमूर्ति आर नारायणा पिशारदी ने पदच्युत पादरी रॉबिन मैथ्यू वडक्कामुचेरी को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पोक्सो अधिनियम) के तहत निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराने का फैसला बरकरार रखा।

विशेष सरकारी वकील (महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अत्याचार) अधिवक्ता अंबिका देवी ने इस सजा की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि अभियोजन यह भी साबित करने में सफल रहा कि पीड़िता घटना के समय (वर्ष 2016 में) नाबालिग थी, इसलिए उसकी सहमति कोई मायने नहीं रखती।

हालांकि, फैसले की विस्तृत प्रति अभी आनी बाकी है।

गौरतलब है कि निचली अदालत ने वडक्कामुचेरी को वर्ष 2019 में 20 साल कैद की सजा सुनाई थी जिसके खिलाफ उसने उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी। वह वर्ष 2017 से ही कारावास में है।

बलात्कार पीड़िता ने इससे पहले उच्चतम न्यायालय में अर्जी दायर कर आरोपी से विवाह की अनुमति मांगी थी जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने पदच्युत पादरी की ओर से दायर एक अन्य याचिका भी खारिज कर दी थी जिसमें उसने कहा था कि वह पीड़़िता से विवाह करना चाहता है, जो दुष्कर्म के वक्त नाबालिग थी और उसने बच्चे को जन्म दिया है।