तिरुवनंतपुरम: मुसलमानों के खिलाफ कथित विवादास्पद टिप्पणी मामले में केरल के राजनेता पी सी जॉर्ज की गिरफ्तारी के बाद उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किये जाने के दौरान वहां कोई सरकारी वकील मौजूद न होने के आरोपों के बीच राज्य के कानून मंत्री पी राजीव ने कहा है कि सरकार जांच करेगी कि ऐसा क्यों हुआ।

राजीव ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार देखेगी और यह पता लगाने के लिए सभी पहलुओं से जांच करेगी कि वास्तव में क्या हुआ था और क्यों हुआ था।

केरल के कानून मंत्री ने संवाददाताओं के सवाल के जवाब में यह बात कही। उनसे पूछा गया था कि ऐसे आरोप हैं कि पी सी जॉर्ज की पेशी के समय अभियोजक मौजूद नहीं था और सरकार इस बारे में क्या कार्रवाई करने जा रही है।

मंत्री ने कहा कि अपने छात्र राजनीति के दिनों से उनका अनुभव यह रहा है कि अगर लोक अभियोजक अदालत में नहीं होते, तब मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए गए लोगों को सीधे जेल भेज दिया जाता है।

कांग्रेस की केरल इकाई के पूर्व नेता जॉर्ज ने कथित तौर पर कहा था कि केरल में मुस्लिम समुदाय द्वारा चलाए जा रहे रेस्तराओं में गैर-मुसलमानों को नहीं जाना चाहिए।

यहां चल रहे अनंतपुरी हिंदू महा-सम्मेलन में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, उन्होंने शुक्रवार को दावा किया था कि उन्होंने सुना है कि मुस्लिमों द्वारा संचालित रेस्तराओं में बेची जाने वाली चाय में ऐसी सामग्री मिलाई जाती है जो नपुंसकता पैदा करती है और यह सब देश पर कब्जा करने के लिए किया जाता है।

रविवार को जॉर्ज को भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देना) के तहत गैर जमानती अपराध के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। इस औपचारिक गिरफ्तारी के कुछ ही घंटे बाद उन्हें एक मजिस्ट्रेटी अदालत ने जमानत दे दी थी। इस पर कई लोगों ने यह कहते हुए सवाल उठाए कि गैर जमानती अपराध के बावजूद जॉर्ज को इतनी जल्दी जमानत कैसे दी गई।

केरल राज्य समिति की ‘मुस्लिम यूथ लीग’ के महासचिव पी के फिरोज ने फेसबुक पर किए गए अपने पोस्ट में दावा किया कि लोक अभियोजक ने जॉर्ज को जमानत दिए जाने का विरोध नहीं किया। कुछ ने आरोप लगाया कि अदालत में लोक अभियोजक मौजूद ही नहीं था जो जॉर्ज को जमानत दिए जाने का विरोध करता ।