रंगिया/गुवाहाटी : असम में भारत-भूटान सीमा के द्वार ढाई साल के अंतराल के बाद पर्यटकों के लिए फिर से खोल दिए गए हैं। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।

अधिकारी के मुताबिक, कोविड-19 महामारी के प्रकोप की शुरुआत के बाद से बंद किए गए भारत-भूटान सीमा के द्वार शुक्रवार को कुछ नए नियमों के साथ फिर से खोल दिए गए।

गुवाहाटी में भूटान के महावाणिज्य दूत जिग्मे थिनले नामग्याल ने तामूलपुर जिले के समद्रुप-जोंगखर, चिरांग में दादगिरि और गेलेफू, बक्सा में नामलांग और पनबांग और उदलगुरी जिले के समरंग में अंतरराष्ट्रीय सीमा द्वार फिर से खोलने की घोषणा की।

इस अवसर पर भारत-भूटान मैत्री संघ के सदस्य मौजूद थे। ये द्वार सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक खुले रहेंगे।

दोनों देशों की सीमा को पर्यटकों के लिए फिर से खोले जाने के अवसर पर कई आगंतुक और व्यवसायी मौजूद रहे। इस मौके पर दोनों देशों के लोगों ने एक-दूसरे को बधाई दी।

इससे पहले, भूटान सरकार ने 23 सितंबर से व्यापार, वाणिज्य और आधिकारिक पारगमन के लिए अपनी सीमाओं को फिर से खोलने की घोषणा की थी।

पर्यावरण संरक्षण के अलावा पर्यटन क्षेत्र के लिए सेवाओं और बुनियादी ढांचे के विकास में सुधार के लिए भूटान आने वाले पर्यटकों से एक सतत विकास शुल्क (एसडीएफ) लिया जाएगा।

अधिकारी के मुताबिक, यदि पर्यटक भूटान में ठहरते हैं तो भारतीय यात्रियों के लिए प्रति दिन 1,200 रुपये शुल्क होगा, जबकि अन्य देशों से आने वालों के लिए यह शुल्क 200 अमेरिकी डॉलर निर्धारित किया गया है।

भारत से आने वाले लोगों को जांच चौकी पर मतदाता पहचान-पत्र, पासपोर्ट या कोई अन्य पहचान पत्र प्रमाण के रूप में प्रस्तुत करना होगा, जबकि बच्चों का जन्म प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा।