कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ हुए ‘निंदनीय व्यवहार’ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित ‘चुप्पी’ पर अफसोस जताया है।

बता दें कि कार्यक्रम में ममता बनर्जी के भाषण से पहले दर्शकों में शामिल कुछ लोगों ने ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाए थे।

राज्य सरकार में मंत्री ब्रत्य बसु ने यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह घटना ऐसे लोगों की ‘महिलाओं के प्रति द्वेषपूर्ण मानसिकता’ को प्रतिबिंबित करती है।

उन्होंने दावा किया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो उस कार्यक्रम में मौजूद थे, उन्होंने दर्शकों के एक धड़े के व्यवहार की निंदा में एक शब्द तक नहीं कहा। यह दिखाता है कि भाजपा में नेताजी के प्रति कोई सम्मान नहीं है और न ही इसका ज्ञान है कि वह किसके लिए खड़े हुए थे।’’

उल्लेखनीय है कि शनिवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मोदी की उपस्थिति में ‘जय श्रीराम’ के नारे लगने के बाद ममता बनर्जी ने कार्यक्रम को संबोधित करने से इनकार कर दिया था।

तृणमूल विधायक ने दावा किया कि ‘ छिपी हुई फासिस्ट ताकत’ पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज होने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अगर उनके हाथ में सत्ता गई तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में पड़ जाएगी।

बसु ने कहा, ‘‘कृपया बंगाल का नियंत्रण इस ताकत के हाथों में नहीं जाने दें। यह हमारी अभिव्यक्ति की आजादी को छीन लेगी। विभिन्न विचारधाराओं के लोग बंगाल में अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्रत हैं, जो खत्म हो सकता है।’’

इस संवाददाता सम्मेलन में मशहूर बंगाली अभिनेत्री कौशानी मुखोपाध्याय और ईस्टर्न इंडिया मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष पिया सेनगुप्ता सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हुईं।

बसु ने कहा, ‘‘ कुरूप ताकतें देश के सभी कलाकारों की आवाज दबाने के लिए निकल चुकी है। निर्देशक अनुराग कश्यप और अभिनेता नसीरुद्दीन शाह को पहले ही इसका अनुभव हो चुका है।’’

सेन गुप्ता और उनकी बहू मुखोपाध्याय ने कहा कि वह हमेशा से ही तृणमूल कांग्रेस प्रमुख की ‘लोकहित’ नीति से प्रभावित रही हैं और राज्य की जनता की सेवा करने को इच्छुक हैं।