पटना, 22 अप्रैल (हि.स.)। बिहार के चर्चित विशेश्वर ओझा हत्याकांड में आरा कोर्ट ने दो दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। एडीजे-8 की कोर्ट ने हरेश मिश्रा और ब्रजेश मिश्रा को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए 85-85 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। इनके अलावा अन्य पांच दोषियों को 10 साल एवं 35-35 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।

नौ अप्रैल, 2024 को कोर्ट ने इस चर्चित हत्याकांड में नामजद अभियुक्त ब्रजेश मिश्रा और हरेश मिश्रा समेत सात आरोपितों उमाकांत मिश्रा, टुन्नी मिश्रा, बसंत मिश्रा, हरेंद्र सिंह, पप्पू सिंह को दोषी करार दिया था जबकि साक्ष्य के अभाव में छह आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया था। ब्रजेश मिश्रा और हरेश मिश्रा सगे भाई हैं। कोर्ट ने उन्हें इस हत्याकांड को अंजाम देने वाला करार दिया था। दोनों ने साथियों के साथ मिलकर भाजपा के तत्कालीन प्रदेश उपाध्यक्ष विशेश्वर ओझा को गोलियों से भून दिया था।

कोर्ट ने इन मामलों में पाया दोषी

कोर्ट ने हरेश मिश्रा और उसके भाई ब्रजेश मिश्रा को हत्या, हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट के मामले का दोषी पाया। उमाकांत, टुनी, बसंत, पप्पू औ हरेन्द्र सिंह को 307 आईपीसी एवं 27 आर्म्स एक्ट में दोषी पाया गया। कोर्ट ने इस कांड में आरोपित बनाये गये कुंदन, संतोष, विनोद, भृगु, मदन, बबलू को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया था।

ये है पूरा मामला

विशेश्वर ओझा 12 फरवरी, 2016 की शाम सफारी गाड़ी से ड्राइवर राकेश कुमार ओझा और चार अन्य समर्थकों के साथ बभनौली निवासी चंदेश्वर उपाध्याय के भतीजे की बारात में शामिल होने परसोंडा टोला स्थित मृत्युंजय मिश्रा के घर आये थे। वहां से एक दूसरी गाड़ी उनके काफिले में शामिल हो गई।

विशेश्वर ओझा के घर लौटने के दौरान सोनबरसा मैदान में मिश्रा बंधुओं ने सहयोगियों के साथ उनकी गाड़ी को रोक लिया और ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। इस फायरिंग में विशेश्वर ओझा एवं उनके ड्राइवर राकेश कुमार ओझा को गोली लगी थी। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने विशेश्वर ओझा को मृत घोषित कर दिया था। उनकी हत्या के बाद बिहार की राजनीति में उबाल आ गया था। इस हत्याकांड को लेकर राजनाथ ओझा के बयान पर शाहपुर थाना में मामला दर्ज करते हुए कुल सात लोगों पर नामजद किया गया था, जिस पर आठ साल बाद फैसला आया।

हिन्दुस्थान समाचार/ चंदा/चंद्र प्रकाश