नयी दिल्ली : स्टेनलेस स्टील उद्योग से जुड़े संगठनों ने बृहस्पतिवार को सरकार से स्टेनलेस स्टील के कुछ उत्पादों पर प्रतिपूरक शुल्क (सीवीडी) समाप्त करने के निर्णय पर फिर से विचार करने को कहा।

प्रतिपूरक शुल्क आयात शुल्क है जो डंपिंग या निर्यात सब्सिडी से घरेलू उद्योगों को बचाने के लिये लगाया जाता है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को अपने बजट भाषण में कई इस्पात उत्पादों पर आयात शुल्क कम किये जाने की घोषणा की थी। साथ ही कुछ स्टील उत्पादों पर डंपिंग रोधी शुल्क और प्रतिपूरक शुल्क हटाने का ऐलान किया था।

इंडियन स्टेनलेस स्टील डेवलपमेंट एसोसएिशन (आईएसएसडीए) ने कुछ अन्य स्टेनलेस स्टील उद्योग संगठनों के साथ मिलकर एक बयान में कुछ इस्पात उत्पादों पर सीवीडी वापस लिये लिये जाने को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि इस कदम का घरेलू उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

आईएसएसडीए के अलावा अन्य संगठन वजीरपुर इंडस्ट्रियल एस्टेट वेलफेयर सोसाइटी, राजस्थान स्टेनलेस स्टील री-रोलर्स एसोसिएशन, जगधारी स्टेनलेस स्टील री-रोलर्स एसोसएिशन और स्टेनलेस स्टील री-रोलर्स एसोसिएशन हैं।

संगठनों ने बयान में कहा, ‘‘हम सरकार से इस कदम पर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हैं। क्योंकि इससे चीन और इंडोनेशिया जैसे देशों से सब्सिडी युक्त स्टेनलेस स्टील का आयात बढ़ेगा तथा कई एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) दिवालिया होने के कगार पर पहुंच जाएंगे।’’

आईएसएसडीए ने दावा किया कि दोनों देश सब्सिडी युक्त और खराब गुणवत्ता के स्टेनलेस स्टील उत्पादों की भारत और दूसरे देशों में कई साल से डंपिंग करते रहे हैं।