नयी दिल्ली : उद्योग संगठन एल्युमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएआई) ने शुक्रवार को आगाह किया कि देश में एल्युमीनियम संयंत्रों में कोयले का भंडार निम्न स्तर पर पहुंच गया है और अगर ईंधन की आपूर्ति तुरंत बहाल नहीं की गई तो इससे अपूरणीय क्षति हो सकती है।

यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में बिजली उत्पादन संयंत्रों में ईंधन की कमी के बीच गैर-विद्युत क्षेत्रों को कोल इंडिया ने कोयले की आपूर्ति को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है।

एल्युमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा, ‘‘आज भी, एल्यूमीनियम उद्योग को मौजूदा कोयला आपूर्ति संकट के संबंध में कोई राहत नहीं मिली है। भारतीय एल्युमीनियम संयंत्र कोयले की कमी से जूझ रहे हैं, उनकी बिजली की जरूरतों को पूरा करने और संयंत्रों को चालू रखने के लिए कोई अन्य उपाय या वैकल्पिक साधन नहीं है।’’ संगठन ने आगाह किया कि अगर कोयले की आपूर्ति तुरंत बहाल नहीं की गई, तो इससे इन राष्ट्रीय संपत्तियों की बहुत बड़ी क्षति हो जाएगी।

एएआई ने कहा, ‘‘एल्यूमीनियम संयंत्रों में किसी भी तरह की बिजली की कटौती का प्रतिकूल प्रभाव होगा और यह पूर्ण रूप से बंद हो जाएगा। इससे उबरने में कम से कम 12 महीने का समय लगेगा। इसके चलते आठ लाख से अधिक लोगों की नौकरी चली जाएगी। बैंकों का एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का ऋण चढ़ जाएगा और 90,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त राष्ट्रीय विदेशी मुद्रा का नुकसान होगा।’’

बयान में कहा गया कि एल्युमीनियम उत्पादन चौबीसों घंटे, 365 दिन चलने वाली एक निरंतर प्रक्रिया वाला उद्योग है। ‘स्विच ऑफ और स्विच ऑन’ करने का कोई प्रावधान नहीं है। इसमें अत्यधिक बिजली की जरुरत होती है, केवल एक टन एल्यूमीनियम को बनाने के लिए 14,500 यूनिट निरंतर बिजली की आवश्यकता होती है जो कि इस्पात उत्पादन की तुलना में 15 गुना और सीमेंट उत्पादन की तुलना में 145 गुना है।

उद्योग संगठन ने आगे कहा कि कोल इंडिया को संयंत्रों को बंद होने से रोकने के लिए एल्युमीनियम उद्योग को निरंतर कोयले की आपूर्ति तुरंत शुरू कर देनी चाहिए।