चंडीगढ़ : पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने बृहस्पतिवार को पंजाब कांग्रेस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा कथित तौर पर विधायकों के खरीद-फरोख्त के मुद्दे पर निशाना साधा।

आप ने कहा, उक्त मामले पर कांग्रेस की चुप्पी इस बात का स्पष्ट संकेत है कि वह भाजपा की ‘‘बी-टीम’’ है।

आप नेता और पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, यह हैरानी की बात है कि कांग्रेस के आठ विधायकों के गोवा में भाजपा में शामिल होने पर पार्टी ने कुछ नहीं बोला, बल्कि आप पार्टी द्वारा ‘ऑपरेशन लोटस’ का पर्दाफाश किए जाने पर सबूत जरूर मांगे।

गौरतलब है कि ‘आप’ ने पहले कहा था कि भाजपा ने उसके 10 विधायकों को राज्य में सरकार गिराने के मकसद से 25 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ संपर्क किया था।

चीमा ने आरोप लगाया, “पंजाब कांग्रेस के किसी भी नेता ने भाजपा पर सवाल उठाने की ज़हमत नहीं की, लेकिन उन्होंने हमसे भाजपा द्वारा विधायकों के खरीद-फरोख्त मामले का पर्दाफाश करने का सबूत मांग लिया। भले ही यह गोवा और अन्य राज्यों में उनकी पार्टी के साथ हो रहा हो। फिर भी, कांग्रेस भाजपा का समर्थन कर रही है।”

चीमा ने कहा, “पंजाब में कांग्रेस नेताओं की चुप्पी भाजपा के साथ उनके गठबंधन को उजागर करती है। कांग्रेस स्पष्ट रूप से भाजपा की बी-टीम है।”

चीमा ने कहा, चूंकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच चल रही है, इसलिए पार्टी भाजपा के खिलाफ कुछ भी बोलने से ‘डर’ रही है।

उन्होंने कहा, “लोकतंत्र की हत्या की कोशिशों के लिए पंजाब कांग्रेस के नेताओं ने भाजपा के खिलाफ एक भी वाक्य नहीं बोला।”

वहीं, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) पर निशाना साधते हुए चीमा ने कहा कि भाजपा की पूर्व सहयोगी फिर से उसके साथ गठजोड़ करना चाहती है। इसीलिए अकाली नेता भाजपा के बयानों की पुष्टि कर रहे हैं।

उन्होंने आरोप लगाया, “उन्होंने (शिअद) ने राज्य में सरकार को गिराने की कोशिश करने की भाजपा की रणनीति पर भी आपत्ति नहीं जताई।”

उन्होंने कहा, यह आम आदमी पार्टी ही थी जिसने विधायकों के खरीद -फरोख्त के भाजपा के प्रयासों को विफल कर दिल्ली और पंजाब में “ऑपरेशन लोटस” को धराशायी किया था।

संवाददाताओं द्वारा यह पूछे जाने पर कि विधायकों से किसने संपर्क किया, चीमा ने कहा कि इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच जारी है।

उन्होंने कहा, “अगर हम किसी का नाम उजागर करते हैं तो जांच प्रभावित हो सकती है।”