चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बृहस्पतिवार को राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित पर राज्य सरकार के कामकाज में लगातार ‘हस्तक्षेप’ करने का आरोप लगाया और कहा कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति कानून के तहत की गई थी।

मुख्यमंत्री मान ने राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को संबोधित करते हुए पंजाबी भाषा में लिखी एक चिट्ठी अपने ट्विटर पर साझा की है। हालांकि, राजभवन का कहना है कि मुख्यमंत्री कार्यालय से उन्हें मिला पत्र अंग्रेजी भाषा में है और उसमें जो लिखा है वह मीडिया में चल रही बातों से ‘बिलकुल अलग’ है।

मान द्वारा पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के कुलपति के रूप में सतबीर सिंह गोसल की नियुक्ति और राज्यपाल पुरोहित द्वारा गोसल को हटाने को कहे जाने के बाद दोनों (मान और पुरोहित) में फिर से टकराव हो गया है।

पुरोहित ने मंगलवार को मान से कहा था कि वह विश्वविद्यालय के कुलपति गोसल को पद से हटाएं। पुरोहित का कहना था कि कुलपति को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मानदंडों के अनुपालन के बैगर और कुलाधिपति की मंजूरी के बिना नियुक्त किया गया था।

पुरोहित को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने बृहस्पतिवार को कहा कि गोसल को कानून के अनुसार नियुक्त किया गया था और राज्यपाल के इस कदम से जनता नाराज है।

उन्होंने पत्र में यह भी लिखा कि कैसे राज्यपाल ने पिछले महीने विधानसभा सत्र बुलाने की मंजूरी वापस ले ली थी और बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, फरीदकोट के कुलपति के रूप में प्रसिद्ध हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. गुरप्रीत सिंह वांडर की नियुक्ति को मंजूरी देने से भी इनकार कर दिया था।

मान ने राज्यपाल को भेजे पत्र में कहा है, ‘‘पिछले कुछ महीनों से आप सरकार के कामकाज में लगातार दखल दे रहे हैं, जो व्यापक जनादेश के साथ सत्ता में आई है।’’

मान ने लिखा, ‘‘पहले आपने पंजाब विधानसभा का सत्र बुलाने में अवरोध पैदा किया, उसके बाद आपने बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, फरीदकोट के कुलपति की नियुक्ति रद्द कर दी और अब आपने पीएयू के कुलपति की नियुक्ति निरस्त करने आदेश दिया है।’’

मुख्यमंत्री ने पुरोहित से यह भी पूछा है कि आखिर उन्हें इस तरह के ‘गलत और असंवैधानिक’ काम करने के लिए कौन कह रहा है और वह ऐसा करने के लिए क्यों सहमत हुए।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने आपसे कई बार मुलाकात की है। आप बहुत ही अच्छे और शिष्ट व्यक्ति हैं। आप अपने बूते इस तरह का कार्य नहीं कर सकते। आपसे इस तरह के गलत और असंवैधानिक कार्य करने को किसने कहा है? आप उनसे सहमत क्यों हुए? वे आपके पीछे छुपे हैं और आप (बेकार) बदनाम हो रहे हैं।’’

मान ने कहा, 'मैं आपसे हाथ जोड़कर अनुरोध करता हूं कि उनकी बात न सुनें। आपसे गलत काम करवाने वाले लोग स्पष्ट रूप से पंजाब का कल्याण नहीं चाहते हैं। आप कृपया चुनी हुई सरकार को काम करने दें।'

मान ने राज्यपाल को बताया कि कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति हरियाणा और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम, 1970 के तहत की जाती है।

मुख्यमंत्री ने लिखा है, ‘‘कुलपति की नियुक्ति पीएयू बोर्ड द्वारा की जाती है। इसमें मुख्यमंत्री या राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं होती है।’’

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में बलदेव सिंह ढिल्लों और एम. एस. कांग की पिछली नियुक्तियों का उदाहरण दिया था।

मान ने कहा कि किसी भी पूर्व कुलपति की नियुक्ति के लिए राज्यपाल की मंजूरी नहीं मांगी गई थी। उन्होंने कहा कि इसलिए डॉक्टर सतबीर सिंह गोसल को भी कानून के तहत नियुक्त किया गया है, जैसा पहले किया जाता रहा है।



इसपर प्रतिक्रिया देते हुए राजभवन ने एक बयान जारी करके दावा किया कि पंजाबी में लिखी जो चिट्ठी मीडिया में मौजूद है, वह उन्हें नहीं मिली है।

बयान में कहा गया है, ‘‘मीडिया में एक चिट्ठी प्रसारित हो रही है जो पंजाबी भाषा में है, कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने लुधियाना स्थित पीएयू के कुलपति की नियुक्ति के संबंध में पंजाब के राज्यपाल को वह चिट्ठी लिखी है। अभी तक यह चिट्ठी पंजाब राजभवन को प्राप्त नहीं हुई है।’’

उसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री की ओर से मिली चिट्ठी अंग्रेजी में है और दोनों चिट्ठियों की विषय वस्तु अलग है।

बयान के अनुसार, राज्यपाल कार्यालय ने मुख्यमंत्री से स्पष्टीकरण मांगा है कि दोनों चिट्ठियों में से सही कौन सी है और पंजाब राजभवन को भेजे जाने से पहले ही पंजाबी में लिखी चिट्ठी मीडिया में कैसे प्रसारित हो रही है।

बयान के मुताबिक, राजभवन को मिली चिट्ठी में कुलपति की चयन प्रक्रिया, पद के लिए जिन नामों पर विचार किया गया, पीएयू एक अलग अधिनियम के तहत शासित होता है आदि बताया गया है। उसमें अनुसार, अंग्रेजी में लिखी चिट्ठी में राज्यपाल द्वारा उनकी पिछली चिट्ठी पर विचार करने का भी अनुरोध किया गया है।