चेन्नई : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने सोमवार को अपनी पार्टी के सदस्यों से कहा कि वे राज्य में "जहरीली राजनीतिक ताकतों" को अपने पैर जमाने का मौका न दें।

मुख्यमंत्री ने किसी का भी नाम लिए बिना कहा कि पार्टी नेता अपने भाषणों में संयम बरतें अन्यथा ‘"जहरीली राजनीतिक ताकतों" को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) की स्थापना पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरै ने की थी और उनका आदर्श था कि सामाजिक न्याय, आत्म सम्मान और तर्कवाद के सिद्धांतों के माध्यम से समतावादी समाज को हासिल किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि द्रमुक एक जन आंदोलन के रूप में कायम रहा और आधी सदी तक पूर्व मुख्यमंत्री एम करूणानिधि ने दबे कुचले लोगों के अधिकार बहाल करने और उन्हें सबकुछ उपलब्ध कराने की कोशिश की।

स्टालिन ने कहा कि वर्तमान सरकार इन दोनों नेताओं के दिखाए रास्ते पर चल रही है।

द्रमुक प्रमुख ने कहा, “ कुछ राजनीतिक ताकतें लगातार इस सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रही हैं। हमें अपना काम जारी रखना चाहिए और बदनीयती रखने वाली ज़हरीली ताकतों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पैरा जमाने का मौका नहीं देना चाहिए।”

उनका इशारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर था।

स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु के लोगों ने 10 साल के बाद द्रमुक को शासन करने की जिम्मेदारी दी है। उन्होंने कहा, “ हमें उनकी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रतिदिन बिना थके काम करना पड़ता है।”

एक बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि राजनीतिक विरोधी पार्टी के सदस्यों, मंत्रियों, विधायकों और सांसदों के भाषणों को संदर्भ से हटाकर प्रस्तुत कर सकते हैं, क्योंकि वे सरकार को बदनाम करने के लिए किसी भी स्तर तक जा सकते हैं।

स्टालिन ने कहा कि ये सांप्रदायिक ताकतें तमिलनाडु में पैर जमाना चाहती हैं और स्थिति का फायदा उठाकर बढ़त पाने की उम्मीद करती हैं।

उन्होंने कहा, “ वे लोगों को भ्रमित करने की कोशिश करती हैं। इसलिए, पार्टी के नेताओं, मंत्रियों, विधायकों और सांसदों को भाषण देने के दौरान सतर्क रहना चाहिए।”

नीलगिरी से द्रमुक सांसद ए राजा ने शुद्र को लेकर टिप्पणी की थी जबकि राज्य के उच्चतर शिक्षा मंत्री के पोनमुडी ने सरकार की ओर से निशुल्क दिए जाने वाले सामान पर टिप्पणी की थी। इस पर हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किया था।