चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने कहा कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के राज्य विधानसभा का सत्रावसान करने के कृत्य का ‘‘कोई औचित्य नहीं’’ है।

इस पर पलटवार करते हुए धनखड़ ने कहा कि सरकार के अनुरोध पर विधानसभा का सत्रावसान किया गया है और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री की टिप्पणियां खेदजनक हैं तथा तथ्य पर आधारित नहीं हैं।

स्टालिन ने ट्वीट किया, ‘‘पश्चिम बंगाल के राज्यपाल का राज्य विधानसभा का सत्रावसान करने के कृत्य का कोई औचित्य नहीं है और इतने ऊंचे पद पर बैठे व्यक्ति से इसकी उम्मीद नहीं की जा सकती और यह स्थापित नियमों और परंपराओं के खिलाफ है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘राज्य के ‘सांकेतिक’ प्रमुख को संविधान (की गरिमा) बरकरार रखने में आदर्श व्यक्ति होना चाहिए। लोकतंत्र की खूबसूरती एक-दूसरे को परस्पर सम्मान देने में है।’’

स्टालिन को जवाब देते हुए धनखड़ ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से कहा, ‘‘तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन का सम्मानपूर्वक ध्यान आकर्षित करना असामान्य रूप से उचित है कि उनकी अत्यधिक कटु और आहत करने वाली टिप्पणियां कम से कम तथ्यों पर तो आधारित नहीं ही है। ममता बनर्जी के अनुरोध पर विधानसभा का सत्रावसान किया गया।’’

धनखड़ ने इस संबंध में एक आधिकारिक पत्र भी पोस्ट किया।

धनखड़ के पलटवार के बाद स्टालिन ने ट्वीट कर कहा, 'प्रिय दीदी ममता बनर्जी ने अपनी चिंता व्यक्त करने के लिए मुझे फोन किया और गैर-भाजपा शासित राज्यों के राज्यपालों द्वारा सत्ता के दुरुपयोग को लेकर अपनी पीड़ा जाहिर की।'

उन्होंने कहा, 'ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों की एक बैठक का सुझाव दिया। मैंने उन्हें राज्य की स्वायत्ता बरकरार रखने में द्रमुक की प्रतिबद्धता को लेकर आश्वस्त किया। जल्द ही दिल्ली से बाहर विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों की बैठक होगी।'

गौरतलब है कि राज्यपाल धनखड़ ने राज्य सरकार की सिफारिश पर शनिवार को विधानसभा का सत्रावसान कर दिया था।

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘‘राज्यपाल ने खुद से यह फैसला नहीं लिया। उन्होंने मंत्रिमंडल की सिफारिश पर विधानसभा का सत्रावसान किया। इसमें कोई भ्रम नहीं है।’’