चेन्नई : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि द्रमुक मुन्नेत्र कषगम के दिवंगत नेता एवं उनके पिता एम करुणानिधि ने एक संत की तरह मोह माया का त्याग करते हुए आपातकाल के दौरान उन्हें पुलिस को सौंप दिया था।

स्टालिन ने अपनी आत्मकथा में 1976 में अपनी गिरफ्तारी के बाद यहां केंद्रीय कारागार में डाले जाने को याद करते हुए जेल में बिताये गये समय को ‘यातना शिविर’ बताया है।

स्टालिन ने कहा कि स्तब्ध कर देने वाली घटना होने के बावजूद इसने वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध एक व्यक्ति को किसी भी चीज का सामना करने की शक्ति दी। उन्होंने कहा, ‘‘उस दिन, मैंने किसी भी चीज का सामना करने की शक्ति पाई।’’

तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने 1975 में देश में आपातकाल लगाया था, जो 1977 तक रहा था। यह अवधि विपक्षी राजनीतिक नेताओं की बड़े पैमाने पर की गई गिरफ्तारियों और नागरिक स्वतंत्रताओं पर पाबंदी लगाये जाने को लेकर जानी जाती है।

स्टालिन की 334 पन्नों की तमिल में लिखी आत्मकथा ‘उंगललिल ओरूवन’ (आपमें से एक) भाग-1, का विमोचन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने हाल में यहां किया था।

करूणानिधि नीत द्रमुक सरकार को 31 जनवरी 1976 को बर्खास्त किये जाने के कुछ घंटे बाद के समय को याद करते हुए स्टालिन ने कहा कि पुलिस उनकी (स्टालिन की) तलाश में यहां उनके गोपालपुरम आवास पर पहुंची, लेकिन वह उस वक्त पास के मथुरानथकम कस्बे में थे।

उन्होंने बताया कि पुलिस अधिकारियों ने कहा कि स्टालिन की मौजूदगी का पता लगाने के लिए घर की तलाशी लेने का उनके पास एक आदेश है, इस पर करुणानिधि ने उनसे कहा कि उनका बेटा शहर के बाहर है और अगले दिन घर लौटेगा। साथ ही उन्होंने खुद को गिरफ्तार करने की पेशकश की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें और अन्य लोगों को यह डर सता रहा था कि पार्टी प्रमुख करुणानिधि गिरफ्तार किये जा सकते हैं ‘‘लेकिन जेल की हवा मेरी ओर बह रही थी। ’’

स्टालिन ने कहा, ‘‘अगले दिन एक फरवरी 1976 को जब मैं घर पहुंचा तो मेरे पिता ने कहा तैयार हो जाओ, पुलिस तुम्हें ढूंढ रही है। मेरे घर लौटने के बारे में करुणानिधि द्वारा फोन पर (पुलिस को) सूचित करने के बाद बाद पुलिस अधिकारी पहुंच गये।’’

स्टालिन ने करुणानिधि को उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘स्टालिन यहां है, उसे ले जाइए। ’’

स्टालिन ने कहा कि त्याग की भावना के साथ उनके पिता करुणानिधि ने उन्हें जेल भेज दिया था।