चेन्नई : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने जीवनशैली में सुधार और लोगों की भलाई के लिए कार्य व जीवन में संतुलन सुनिश्चित करने का आह्वान करते हुए शनिवार को कहा कि मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आध्यात्मिकता जरूरी है।

नायडू ने कहा कि धर्मगुरुओं को चाहिए कि वे आध्यात्मिकता का संदेश युवाओं और आम जनता तक ले जाएं और इस तनावपूर्ण समय में उनकी समस्याओं को दूर करने में मदद करें। उपराष्ट्रपति ने लोगों को तनाव से निपटने के लिए ध्यान, व्यायाम और योग करने का सुझाव दिया और कहा, ‘‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि किसी की आंतरिक शक्ति और मानसिक शांति की खोज के लिए आध्यात्मिकता आवश्यक है। इस संबंध में मैं धर्मगुरुओं से आग्रह करता हूं कि वे आध्यात्मिकता के संदेश को युवाओं और जनता तक ले जाएं।’’

सेंटर फॉर इनर रिसोर्स डेवलपमेंट (सीआईआरडी) द्वारा आयोजित भगवद्गीता पर पांचवें वैश्विक सम्मेलन का डिजिटल तरीके से उद्घाटन करते हुए उपराष्ट्रपति ने मानवता के फायदे के लिए गीता के सार्वभौमिक संदेश को अधिक से अधिक भाषाओं में अनुवाद करने की आवश्यकता पर बल दिया। ‘मानसिक सद्भाव’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में नायडू ने कहा कि गीता का संदेश भले ही हजारों साल पुराना हो, लेकिन इसका महत्व कभी कम नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, ‘‘आज, पहले से कहीं अधिक, एक जटिल और परस्पर जुड़ी दुनिया में गीता का कालातीत संदेश प्रासंगिक बना हुआ है क्योंकि लोग अपने जीवन में कई चुनौतियों और बाधाओं का सामना करते हैं।’’

नायडू ने आधुनिक समय में मानसिक तनाव की समस्या को रेखांकित करते हुए स्वास्थ्य मुद्दे पर अधिक जागरूकता और ध्यान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों को समग्र रूप से संबोधित करने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘महामारी ने लोगों की मुसीबतों को और बढ़ा दिया। हमें मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में सार्वजनिक बातचीत करने और इससे जुड़े कलंक को मिटाने के लिए तैयार रहना चाहिए।’’