चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने रविवार को कहा कि इस हफ्ते की शुरुआत में दिल्ली दौरा उन्होंने खुद के लिए नहीं किया था, बल्कि इसका एकमात्र मकसद तमिलनाडु के अधिकारों को सुनिश्चित करना था।

द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) अध्यक्ष ने कहा कि वह काम करवाने के लिए किसी के ‘‘पांव पर नहीं गिरे।’’ उन्होंने कहा कि उनका दिल्ली दौरा तमिलनाडु के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए था। तीन दिवसीय दिल्ली दौरे के दौरान स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करके तमिलनाडु से संबंधित मुद्दों को लेकर एक ज्ञापन भी सौंपा था। इस ज्ञापन में ‘नीट’ से छूट देने की बात भी शामिल थी। इसके अलावा उन्होंने कई केंद्रीय मंत्रियों से भी मुलाकात की थी।

स्टालिन ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ दिल्ली सरकार द्वारा संचालित स्कूलों और मोहल्ला क्लिनिक का भी दौरा किया था।

तमिलनाडु के नेता प्रतिपक्ष और अन्नाद्रमुक के संयुक्त समन्वयक के. पलानीस्वामी की आलोचना पर स्टालिन ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों के समक्ष तमिलनाडु से संबंधित मुद्दों को रखा। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ जिन लोगों को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा है, वे दावा कर रहे हैं कि मैं वहां कुछ परेशानियों के कारण डर वश गया था, ताकि खुद को बचा सकूं। मैं वहां किसी के पांव पर नहीं गिरा और कोई मदद नहीं मांगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं दिल्ली सिर्फ तमिलनाडु के अधिकारों के लिये गया था, और किसी बात के लिये नहीं।’’

इससे पहले, पलानीस्वामी ने राष्ट्रीय राजधानी का दौरा करने के लिये स्टालिन का उपहास उड़ाते हए पूछा था कि उनकी दिल्ली यात्रा के पीछे क्या ‘रहस्य’ है, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री की तमिलनाडु यात्रा का विरोध करते हुए द्रमुक ने चेन्नई में ‘मोदी वापस जाओ’ लिखे हुए काले गुब्बारे आसमान में छोड़े थे।

पलानीस्वमी ने आश्चर्य जताते हुए पूछा कि कहीं इसका स्टालिन की हालिया दुबई यात्रा से तो कोई लेना-देना नहीं है, जहां वह निवेशकों को आकर्षित करने के लिये गए थे।

पलानीस्वामी ने कहा था, ‘‘तब द्रमुक सदस्य प्रधानमंत्री की आलोचना करने में निम्न स्तर तक गिर गये थे। लेकिन अब कह रहे हैं कि स्टालिन ने दिल्ली का दौरा इस उम्मीद के साथ किया कि प्रधानमंत्री पिछली बातों को भूलकर उन्हें और उनके परिवार को बचाएंगे।’’