कोरोना के बाद कृत्रिम चेहरा

डॉ. सुमित्रा अग्रवाल

 

कोरोना के बाद पोस्ट covid पेशेंट में हमने देखा काफी पेशेंट्स को mucormycosis हुआ | काफी लोगो की ब्लैक फंगस आई इन्फेक्शन में आंखें निकाल दी गई। ऐसी स्थिती में जान तो बच गई परन्तु रोगी विकलांग हो गया, चेहरे की सुंदरता चली गई।वो जिंदा तो बच गया पर अब ना वो किसी से मिल सकता है, न कहीं जा सकता है, न किसी से बात कर सकता है।अब एक हीन भावना इनके अन्दर आ रही है| ये मानव मस्तिष्क ऐसा ही है, जब हमारी जान पर बन आती है तब हम किसी भी सूरत में जिंदा रहना चाहते हैं , ये नहीं सोचते कि क्या हमारा एक अंग काट देना चाहिए या नहीं? हम अपने जीवन की सुरक्षा के लिए इस निष्कर्ष पर पहुँच जाते हैं कि हमारी जान को बचाया जाए।कई बार एक्सीडेंट होने पर जब पेशेंट को इमरजेंसी में भर्ती किया जाता है तो ठीक ऐसी ही स्थिती होती है एक तरफ किसी अंग को काटना है और दूसरी तरफ जीवन को बचाना है डॉ जब इस विषय में रोगी के घर वालों से बात करते हैं या रोगी से ही बात करते हैं, उन परिस्थितियों में बहुत दुख के साथ परिवारजन और व्यक्ति स्वयं अपनी आयु की रक्षा को महत्व देते हैं।उस समय वो ये भूल जाते हैं की अगर हमारा अंग हमारे शरीर से अलग हो जाएगा तो जीवन हम किस तरीके से बिताएंगे? उससे संबंधित समस्याओं को नज़रअन्दाज़ कर देता है।न केवल कोरोना ने लोगों को क्षतिग्रस्त किया बल्कि कोरोना के साइड इफेक्ट ने भी लोगों की हालत खराब कर दी, लोगों को बहुत परेशान किया और तो और ब्लैक फंगस आई इन्फेक्शन ने कितने लोगों की जान ले ली?कितने लोगों की आंखें निकाल दी गई?कितने लोगों के चेहरे का सौंदर्य समाप्त हो गया?कितने लोग अपने जीवन को अब बोझ की तरह जी रहे हैं।कितने ही लोग पहले तो कोरोना से जूझे, कितने प्रियजनों की मृत्यु को देखा, खुद मौत के मुँह से बाहर आएँ, किसी तरह जान बची।अस्पताल गए हुए मरीज काफी समस्याओं से जूझने के बाद जब अपने घर पहुंचे उसके कुछ दिन बाद उन्हें ब्लैक फंगस इन्फेक्शन हुआ।वापस भर्ती होना पड़ा।तीव्र गति से यह फंगस उनके शरीर के टिश्यूज को खत्म करने लगा, एक ऐसी स्थिती में पहुंचा दिया जहाँ से पेशेंट का फिर बच पाना मुश्किल सा दिखने लगा तथा डॉक्टरों की निरंतर कोशिशों के बाद इन मरीजों को बचाया जा पाया गया। कोरोना के साइड इफेक्ट ने भी मनुष्य की कमर तोड़ दी।ये ब्लैक फंगस इन्फेक्शन सदा से ही था।ये कोई नई बीमारी नहीं है।रोगी इससे पहले भी पीड़ित होते थे।यह हर घर में हर जगह हर बाग, बगीचे, खोल, पत्ते, सब्जी, फल सब में ये वायरस फंगस उपस्थित हैं और बहुत ज्यादा है परंतु हम इससे संक्रमित नहीं होते थे क्योंकि हमारी प्रतिरोधक शक्ति इससे हमारे शरीर का बचाव करती थी।कोरोना होने के बाद शरीर इतना दुर्बल हो जाता है कि उसकी प्रतिरोधक क्षमता भी बहुत कम हो जाती है फलस्वरूप mucormycosis जैसे अन्य कई इंफेक्शन आक्रमण कर देते हैं।इस आक्रमण को काफी मरीज बर्दाश्त नहीं कर पाते और फलस्वरूप संक्रमण बढ़ते जाता है| रोगी की हालत खराब होती जाती है, दयनीय दशा में पहुँच जाता है, बहुत से रोगियों की मृत्यु हो जाती है।

 

जिन लोगों की आंखें निकाल दी जाती है उनके पास क्या विकल्प उपलब्ध हैं ?

कृत्रिम आंख, कृत्रिम पलकें, कृत्रिम स्किन की सहायता से हम इन रोगियों को नया जीवन प्रदान कर सकते हैं। जिन रोगियों की आंखें निकाल दी गई है उनमे देखा जा रहा है कि सिर्फ आंख नहीं निकाली जा रही है बल्कि पलकें और आसपास के स्किन को भी निकाल दिया जा रहा है।इन परिस्थितियों में पेशेंट को सिर्फ आर्टिफिशियल आई या नकली आंख या कृत्रिम आंख पहनाने से काम नहीं होगा, क्योंकि अंदर पलकें भी नहीं है तो पलकों का पहले निर्माण किया जाता है। आर्टिफिशियल स्किन के द्वारा इन पलकों के पीछे आर्टिफिशियल आई लगाई जाती है।कई परिस्थितियों में जब पेशेंट को ये आंख पहनाने की बारी आती है तो इन प्रोस्थेसिस को चश्मे में फिट कर देते हैं। चश्मे में इसे लगाने से सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि ये पेशेंट जब चश्मा पहनते है तब आपको सामने से दोनों आंखें दिखाई देती है, लेकिन जब चश्मा खोला जाता है तो फेस पे डैमेज आपको दिखाई देता है। कुछ मरीजों में आर्टिफिशियल आई को स्किन के ऊपर स्किन एडेसिव से भी चिपकाया जाता है।दोनों ही विकल्प उपलब्ध होते हैं। पेशेंट को देखने के बाद आपके प्रोस्थेटिस्ट इस बात का निर्णय लेंगे कि सिर्फ आंख लगानी है कि आंख के साथ स्किन भी बनाना जरूरी है, क्या उसे आपके डायरेक्ट स्किन पर चिपकाना आपके लिए लाभदायक होगा?या आपको चश्मे वाला प्रोस्थेसिस पहनना चाहिए। ये सारी बातों को आपके डॉक्टर ही जायेंगे और आपको उचित परामर्श देंगे।ऐसा नहीं है कि आपका अंग जो काटकर निकाल दिया गया है, उसकी वजह से आपको हीन भावनाओं से गुजरना चाहिए।इसका समाधान उपलब्ध है। प्रोस्थेटिक्स हमारे लिए एक वरदान है।प्रोस्थेटिक्स की सहायता से हम अपने खोए हुए कॉन्फिडेंस को वापस ला सकते हैं, अपने डैमेज चेहरे को वापस पहले की तरह कर सकते हैं। तो सिर्फ आपको जरूरत है कि आप एक प्रोस्थेटिस्ट को खोजें और उनके पास जाकर चेकअप कराएं और जानें की वो आपके लिए क्या विकल्प बताते हैं।