नयी दिल्ली:केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को कहा कि भारत में अभी तक मंकीपॉक्स के आठ मामले सामने आए हैं और इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए हरसंभव निगरानी की जा रही है।

राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान मंकीपॉक्स से जुड़े पूरक सवालों का जवाब देते हुए मांडविया ने यह भी कहा कि इससे घबराने या डरने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह कोविड-19 बीमारी की तरह तेजी से नहीं फैलती है बल्कि बहुत नजदीकी संपर्क में आने पर ही यह संक्रमण फैलता है।

उन्होंने बताया कि मंकीपॉक्स के संक्रमण की जांच के लिए देश के 15 संस्थानों को चिह्नित किया गया है और आवश्यकता पड़ी तो इसमें अन्य संस्थानों को भी शामिल किया जा सकता है।

मांडविया ने कहा कि मंकीपॉक्स का संक्रमण कोई नया नहीं है और पहली बार यह 1970 में अफ्रीका से लेकर दुनिया के कुछ अन्य देशों में पाया गया था। उन्होंने कहा कि जब वर्तमान में भी इसके मामले दिखने लगे तब जाकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस पर विशेष ध्यान दिया।

उन्होंने कहा कि बहुत करीबी संपर्क में आने पर ही यह संक्रमण फैलता है, जैसे मां से बच्चे में और पति से पत्नी में या पत्नी से पति में।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 के अनुभवों से सीख लेते हुए सरकार ने पहले ही मंकीपॉक्स से निपटने की तैयारी आरंभ कर दी थी।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में मंकीपॉक्स का पहला मामला 14 जुलाई को सामने आया था। आज की तारीख तक आठ मामले सामने आए हैं। इनमें पांच मामले ऐसे हैं, जिनमें संक्रमित लोग विदेशों से भारत आए हैं।’’

मांडविया ने कहा, ‘‘वैसे तो किसी भी बीमारी को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए लेकिन मंकीपॉक्स से घबराने या डरने की आवश्यकता नहीं है। इससे ज्यादा खतरा नहीं है। थोड़ा भी सतर्क रहा जाए तो हम इसे नियंत्रित कर सकते हैं।’’

उन्होंने बताया कि इस संक्रमण के फैलाव पर निगरानी के लिए नीति आयोग ने एक कार्यबल गठित किया है और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी सभी राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि जहां कहीं भी मंकीपॉक्स के मामले आ रहे हैं, वहां केंद्रीय टीम भेजी जा रही है और वह राज्यों को सहयोग कर रही है।

मांडविया ने कहा कि मंकीपॉक्स का अभी तक कोई टीका सामने नहीं आया है और सिर्फ अंकारा में चेचक के नजदीक का एक टीका दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में मंकीपॉक्स के वायरस को ‘‘आइसोलेट’’ किया गया है और इसे वैज्ञानिकों या शोध करने वाले संस्थानों का दिया जाएगा ताकि इसका टीका विकसित किया जा सके।

उन्होंने उम्मीद जताई कि जिस प्रकार भारतीय वैज्ञानिकों ने कोविड-19 रोधी टीकों का ईजाद किया, उसी प्रकार उन्हें मंकीपॉक्स के टीके विकसित करने में भी सफलता मिलेगी।