गणेश महोत्सव 22 अगस्त से शुरू होगा, हर साल बप्पा के आगमन पर जोश औऱ खुशी देखने लायक होती थी, लेकिन कोरोना की वजह से इस साल बप्पा का आगमन भी फिका पड़ गया है. सनातन धर्मा में गणपति का स्थान बेहद खास है उन्हें विघ्नहर्ता के नाम से भी पुकारते हैं.

इस वर्ष गणेश चतुर्थी का त्यौहार भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी यानि 22 अगस्त को मनाया जाएगा. 10 दिन चलने वाले इस त्यौहार पर गणपति की स्थापना और उनकी पूजा-पाठ का विशेष महत्व है. हालांकि इस दौरान कहा जाता है की चांद के दर्शन भी नहीं करने चाहिए.

चावल,सिंदूर, केसर, हल्दी, चन्दन,मौली औऱ लौंग जरुर चढ़ाएं, पूजा में दूर्वा का काफी महत्व है। कहा जाता है कि इसके बिना गणेश पूजा पूरी नहीं होती है.गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं. गणेश जी के पास पांच लड्डू रखकर बाकी बांट देने चाहिए.

घर में अगर गणेश जी की स्थापना हो रही है तो इस बात का ध्यान रखे की बप्पा की आरती सुबह औऱ शाम दोनों पहर होनी चाहिए. गणेश जी की कथा और गणेश चालीसा का पाठ अवश्य करें और “ओम् गं गणपतये नमः” मंत्र की एक माला का जाप करना चाहिए.

गणेश चतुर्थी के दिन रात्रि में चंद्रमा के दर्शन न करें. इस दिन चंद्रमा के दर्शन करना शुभ नहीं माना जाता है। 22 तारीख को रात्रि में चंद्रमा के दर्शन करने से मिथ्या कलंक लग सकता है।

मध्यान्ह गणेश पूजन मुहूर्त – 10:46 सुबह से 1:57 दोपहर तक
वर्जित चंद्रदर्शन का समय – 8:47 रात से 9:22 रात तक
चतुर्थी तिथि आरंभ – 21 अगस्त की रात 11:02 बजे से।
चतुर्थी तिथि समाप्त : 22 अगस्त की रात 7:56 बजे तक।