नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश भर में उसके आदेशों को तेजी से प्रेषित करने और उनके अनुपालन के लिए वह फास्ट एंड सिक्योर ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डस (फास्टर) को लागू करने के लिए आदेश पारित करेगा, क्योंकि इसके सुचारू कामकाज के लिए राज्यों ने नोडल अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है।

प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने अभियुक्तों को जमानत दिए जाने के बावजूद उनकी रिहाई में विलंब होने का स्वत: संज्ञान लेते हुए फास्टर को लेकर फैसला पारित करने का निर्णय किया है। अभियुक्तों की रिहाई के बावजूद न्यायिक आदेश प्राप्त नहीं होने या उनकी पुष्टि नहीं होने के आधार पर इसमें विलंब किया जाता है।

पीठ ने उच्चतम न्यायालय के महासचिव को न्याय मित्र एवं वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे और सोलीसीटर जनरल तुषार मेहता के साथ मिलकर आदेशों को क्रियान्वित कराने के लिए ‘‘सुरक्षित, विश्वसनीय और प्रामाणिक चैनल’’ का गठन करने के आदेश दिए थे। पीठ में न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल थे।

दवे ने पीठ को सूचित किया कि महासचिव ने 29 जुलाई को ‘‘रिपोर्ट’’ तैयार कर ली है।

दवे ने कहा, ‘‘योजना (फास्टर) नागरिकों के लिए अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) को प्रभावी तरीके से लागू करना सुनिश्चित करेगी और देश को आपका (सीजेआई) आभारी होना चाहिए।’’

सीजेआई ने कहा, ‘‘धन्यवाद श्रीमान दवे। देश को संस्थान का आभारी होना चाहिए न कि किसी व्यक्ति का।’’

सीजेआई ने कहा, ‘‘राज्यों ने नोडल अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है और कल चार या पांच अदालतों ने इसका परीक्षण किया और यह (योजना) सफल रही।’’