नयी दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने शनिवार को कहा कि भारतीय शिक्षण संस्थानों को केवल परीक्षा लेने, प्रमाणपत्र बांटने तक सीमित नहीं रहना चाहिए तथा उन्हें लोगों के जीवन में मूलभूत बदलाव लाने का वाहक बनना चाहिए

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के हीरक जयंती समारोह के कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए प्रधान ने कहा कि आईआईटी केवल एक संस्थान नहीं हैं बल्कि 21वीं सदी का वैश्विक नागरिक बनाने का शीर्ष केंद्र हैं ।

उन्होंने कहा, ‘‘क्या हम केवल प्रौद्योगिकी विकास से जुड़ी उपलब्धियों को ही विकास कहेंगे अथवा हमारी आईआईटी को दुनिया के 700 करोड़ लोगों के जीवन में मूलभूत बदलाव लाने का वाहक बनना चाहिए ।’’

प्रधान ने कहा कि क्या भारतीय शिक्षण संस्थानों को केवल परीक्षा लेने, प्रमाणपत्र बांटने तक सीमित नहीं रहना चाहिए या उन्हें 21वीं सदी में देश और दुनिया की जिम्मेदारी लेने वाले संस्थान के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए ?

उन्होंने कहा, ‘‘ अगर हमें 21वीं सदी में देश और दुनिया की जिम्मेदारी लेनी है तो व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास के लिये रणनीति एवं रूपरेखा तैयार करनी होगी । यह आईआईटी और खासकर आईआईटी, दिल्ली में तैयार हो ।’’

शिक्षा मंत्री ने बताया कि आईआईटी, दिल्ली, भारतीय संसद का ज्ञान सहयोगी (नालेज पार्टनर) बनना चाहता है और इस दिशा में लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे विश्वविद्यालय, कालेज, संस्थान हमारे ज्ञान सहयोगी हैं । ’’उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंच प्रण के संकल्प को भी दोहराया ।

प्रधान ने वर्ष 2022 तक 5जी प्रौद्योगिकी लागू होने की संभावना का जिक्र करते हुए कह कि इससे शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आयेंगे ।