नयी दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को कहा कि कई विकासशील और विकसित देश अपने यहां भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के परिसर स्थापित करने के लिए भारत सरकार से संपर्क कर रहे हैं।

मंत्री ने कहा कि आईआईटी में भारत द्वारा किए जा रहे प्रयोगों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल रही है।

प्रधान ने 23 आईआईटी द्वारा सामूहिक रूप से आईआईटी-दिल्ली में आयोजित किए जा रहे दो दिवसीय अनुसंधान मेले के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘कई विकासशील और विकसित देश अपने यहां, अपने खर्च पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के परिसर स्थापित करने के लिए भारत सरकार से संपर्क कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ आईआईटी को महज इंजीनियरिंग कॉलेज होने के दायरे से आगे बढ़ना होगा। हमें आईआईटी को प्लेसमेंट पैकेज के आधार पर आंकना बंद करना होगा।’’

उन्होंने कहा कि आईआईटी को बाजार में लाये गए नवाचार एवं सृजित किये गए रोजगार की संख्या के आधार पर मानदंड को पुन: परिभाषित करना होगा ।

प्रधान ने कहा कि प्रौद्योगिकी अगले चरण के विकास एवं वृद्धि को संचालित करेंगे, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार प्रौद्योगिकी की अग्रणी भूमिका होगी ।

उन्होंने कहा कि दुनिया आज भारत में अधिक निवेश कर रही है, जहां भारतीय प्रतिभा, बाजार का आकार, उभरती क्रय शक्ति और बढ़ती जन आकांक्षाएं मिलकर भारत को काफी तेज गति से आगे बढ़ने में सहायक बन रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे आईआईटी को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए । ’’

शिक्षा मंत्री ने कहा कि आईआईटी केवल प्रौद्योगिकी संस्थान नहीं हैं, बल्कि आज ये बदलाव का वाहक बन गए हैं ।

उन्होंने कहा कि आईआईटी ज्ञान एवं अनुभव के भंडार तथा भविष्य के लिये सेतु बन गए हैं ।

कोविड काल का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि कम समय में टीकों के विकास से दुनिया भर में करोड़ों लोगों को फायदा पहुंचा है और यह देश की शानदार प्रतिभाओं के कारण संभव हुआ है।