नयी दिल्ली : कोरोना वायरस का जीनोम अनुक्रमण और विश्लेषण कर रही प्रयोगशालाओं के एक समूह आईएनएसएसीओजी ने कहा है कि सार्स-सीओवी 2 के नए स्वरूप का कोई प्रमाण नहीं है और अभी डेल्टा उप-स्वरूपों को लेकर कोई अतिरिक्त या सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता नहीं है।

आईएनएसएसीओजी ने 20 सितंबर के अपने ताजा बुलेटिन में कहा कि डेल्टा भारत में चिंता का मुख्य स्वरूप बना हुआ है। समूह ने कहा कि दूसरी लहर डेल्टा स्वरूप से प्रभावित थी और कुछ राज्यों में निम्न स्तर पर बना हुआ है तथा किसी नए स्वरूप का कोई सबूत नहीं है।

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान मार्च से मई के बीच अस्पतालों और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे पर काफी दबाव बना हुआ था।

आईएनएसएसीओजी ने ध्यान दिलाया किया कि जून 2021 से एवाई.1 में मामूली वृद्धि हुई है और इसकी निगरानी की जा रही है। समूह ने कहा कि एवाई.4 भारत के साथ ही विश्व स्तर पर हाल के अनुक्रमण में सबसे अधिक बार मिलने वाला डेल्टा उप-स्वरूप है।

पिछले सप्ताह समूह ने कहा था कि में अभी तक सार्स-सीओवी2 के दो नए स्वरूप एमयू और सी.1.2 नहीं दिखे हैं तथा डेल्टा मुख्य स्वरूप बना हुआ है।

भारतीय सार्स कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) विभिन्न राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं का एक समूह है जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने पिछले साल गठित किया था। आईएनएसएसीओजी तब से कोरोना वायरस के जीनोम अनुक्रमण और वायरस का विश्लेषण कर रहा है।