नयी दिल्ली : दिल्ली-एनसीआर के कई स्कूलों और छात्रों के अभिभावकों ने प्रदूषण के बढ़ते हुए स्तर को देखते हुए प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करने की सरकार की घोषणा का स्वागत किया है।

इसके साथ ही स्कूलों और छात्रों के अभिभावकों ने आशा व्यक्त की है कि मौजूदा समस्या के समाधान के लिए अधिकारियों के साथ-साथ लोगों द्वारा भी ठोस प्रयास किए जाएंगे।

विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि सरकार को स्कूलों में छुट्टियों के कार्यक्रम में बदलाव करना चाहिए क्योंकि हर साल सर्दियों के मौसम में प्रदूषण की समस्या गंभीर हो जाती है।

दिल्ली सरकार ने बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर शुक्रवार को घोषणा की कि राष्ट्रीय राजधानी में प्राथमिक स्कूल शनिवार से अगले आदेश तक बंद रहेंगे जबकि अन्य कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए बाहरी गतिविधियां सीमित कर दी जाएंगी।

सरकार के इस फैसले से जहां माता-पिता ने राहत की सांस ली, वहीं कई स्कूलों और शिक्षाविदों ने स्कूलों के बार-बार बंद होने के कारण बच्चों के नुकसान पर चिंता व्यक्त की है। शिक्षाविदों ने कहा कि पहले कोविड-19 महामारी के मद्देनजर और अब बिगड़ती वायु गुणवत्ता के कारण स्कूलों को बंद करना पड़ रहा है।

दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस), राज नगर एक्सटेंशन की प्रधानाचार्य पल्लवी उपाध्याय के मुताबिक, स्कूल इस दौरान ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करेगा।

पल्लवी उपाध्याय ने कहा, ‘‘ हम अधिकारियों द्वारा लिए गए फैसले का सम्मान करते हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करने की योजना बना रहे हैं कि बच्चों का नुकसान नहीं हो। शिक्षक और छात्र पहले से ही ऑनलाइन कक्षाओं में कुशल और सहज हैं, इसलिए हमें किसी तकनीकी बाधा या गड़बड़ी की उम्मीद नहीं है। ऑनलाइन मोड में पहले से ही शाम को अतिरिक्त कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। इसलिए, हमारे लिए ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करना कभी भी परेशानी का सबब नहीं होगा।’’

चिंतन पर्यावरण अनुसंधान और कार्य समूह की संस्थापक और निदेशक भारती चतुर्वेदी ने कहा कि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) पहले भी लागू किया गया था और कार्य योजना के तहत स्कूलों को बंद करना कोई नयी बात नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा हर साल होता है, तो केजरीवाल सरकार ने अपने छुट्टियों के कार्यक्रम पर फिर से काम क्यों नहीं किया? इन सबके बीच, बच्चों की शिक्षा प्रभावित होती है और अचानक स्कूल बंद होने के कारण सबसे अधिक बच्चे प्रभावित होते हैं। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे वंचित वर्ग से हैं। झुग्गी बस्तियों में ऑनलाइन कक्षाओं तक पहुंच नहीं है।’’

एमआरजी स्कूल, रोहिणी की प्रधानाचार्य अंशु मित्तल का मानना है कि हवा की गुणवत्ता काफी खराब हो रही है और प्रदूषण चरम स्तर पर बढ़ रहा है।

अंशु मित्तल ने कहा, ‘‘ हम उस स्थिति की गंभीरता को समझते हैं जिसके तहत प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने की घोषणा की गई है। वायु प्रदूषण लोगों की जीवन प्रत्याशा को कम करता है और लंबे समय तक श्वांस संबंधी बीमारियों और अस्थमा का कारण बनता है। बच्चों की सुरक्षा और प्रदूषित वातावरण से उनके संपर्क को प्रतिबंधित करने की तत्काल आवश्यकता थी। हम इस निर्णय का सम्मान करते हैं और दिशानिर्देशों का पालन करेंगे।’’

दिल्ली अभिभावक संघ की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने कहा कि प्राथमिक स्कूलों को बंद करना एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन साथ ही उन्होंने सवाल किया कि अन्य कक्षाओं को निलंबित क्यों नहीं किया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘क्या सरकार को लगता है कि दिल्ली में खराब वायु गुणवत्ता से उन बच्चों को नुकसान नहीं होगा, जो बड़े हैं? प्रदूषण के प्रभाव की कोई उम्र नहीं होती। सभी वर्गों के छात्रों को राहत दी जानी चाहिए थी। इसके अलावा, सरकार कब तक प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए अस्थायी समाधान का सहारा लेना जारी रखेगी?’’

दरअसल, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने हाल ही में दिल्ली सरकार से शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार होने तक स्कूलों को बंद करने को कहा था।

राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के गंभीर श्रेणी में पहुंचने के मद्देनजर, कई स्कूलों ने बच्चों की सुरक्षा के लिए कई उपाय किए हैं, जिसमें बाहरी गतिविधियों को स्थगित करना और कक्षाओं में श्वांस अभ्यास शुरू करना शामिल है।

उल्लेखनीय है कि मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण लागू किए गए लॉकडाउन के परिणामस्वरूप देश भर में स्कूलों को बंद कर दिया गया था। इसके बाद दिल्ली में एक नवंबर 2021 से स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से खोलने की प्रक्रिया शुरू की गयी थी।

दिल्ली में धुएं की मोटी परत छाये रहने के चलते शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया।

दिल्ली में प्राथमिक तौर पर मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों और पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं के कारण दोपहर दो बजे एक्यूआई 445 दर्ज किया गया।

गौरतलब है कि 400 से ऊपर का एक्यूआई ‘गंभीर’ माना जाता है और यह स्वस्थ लोगों को प्रभावित कर सकता है और बीमारियों से जूझ रहे लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।

वायु गुणवत्ता निगरानी वाले लगभग सभी स्टेशन में ‘गंभीर’ एक्यूआई दर्ज किया गया जबकि इनमें से 13 स्टेशन में एक्यूआई 450 से ऊपर रहा।