यूट्यूब से शुरू होकर नेटफ्लिक्स पर पहुंची भारत की सबसे सफल वेब सीरीजों में शामिल लिटिल थिंग्स चौथे सीजन में अपने मुकाम पर पहुंच गई है.

ध्रुव वत्स (ध्रुव सहगल) और काव्या कुलकर्णी (मिथिला पालकर) की बाबू-शोना टाइप लव स्टोरी कभी हां कभी ना होते-होते अंतत ‘हैप्पी एंड’ में तब्दील हो गई. खास तौर पर विकसित शहरी और महानगरीय जीवन शैली वाले नए जमाने के प्रेमी जोड़ों को आकर्षित करने वाली लिटिल थिंग्स में करीब छह साल की लव/लिव-इन रिलेशनशिप का क्या नतीजा होगा, इसका इंतजार फैन्स को था.

इस बार शुरुआत ध्रुव-काव्या के करीब साल भर तक दूर रहने के बाद बेंगलुरु में मिलने के साथ होती है. सवाल यह कि दूरियां दोनों को फिर से कैसे और कितना नजदीक लाईं? पिछले तीन सीजन में जहां रिश्तों की उलझनें थीं, इस बार वह समझदारी के साथ सुलझती नजर आती हैं. साफ है कि लोग जीवन में ही बड़े नहीं होते, कहानियों में भी बड़े होते हैं.

प्रेम कहानियों की खूबी यह होती है कि वह कभी सीधे रास्ते पर नहीं चलतीं. उसमें समय-समय पर झटके लगते हैं. लिटिल थिंग्स के चौथे सीजन की शुरुआत में जब लगता है कि गाड़ी पटरी पर आने को है और काव्या-ध्रुव का मिलना रंग लाएगा कि तभी फिर हालात करवट बदलते हैं. नायिका को अपना 30वां जन्मदिन अकेले मनाना पड़ता है! नायक दफ्तर के काम की वजह से नहीं आ पाता. इस बात को तूल नहीं दिया जाता और नागपुर से लौटी काव्या तथा बेंगलुरु से निकला ध्रुव नए सिरे से मुंबई में जमने और जीवन शुरू करने का मन बनाते हैं.