अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने गृह मंत्री अमित शाह के साथ गिरफ्तार आईएएस अधिकारी की तस्वीर और एक पेंटिंग साझा कर सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय ध्वज का कथित तौर पर अपमान करने के संदर्भ में अहमदाबाद पुलिस द्वारा दर्ज एक मामले में सोमवार को फिल्मकार अविनाश दास की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया।

मुंबई में रहने वाले फिल्मकार ने अपने वकील के माध्यम से अदालत के समक्ष अपनी ‘‘गलती’’ के लिए बिना शर्त माफी मांगने की पेशकश की। याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति निखिल एस करियल की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता (दास) ने राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए एक पेंटिंग को प्रसारित किया जिसमें एक व्यक्ति को तिरंगा से बने कपड़े पहने हुए दिखाया गया। पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया है इसलिए अदालत इस स्तर पर राहत देने में सतर्कता बरतेगी।

याचिकाकर्ता द्वारा अपने ट्विटर अकाउंट पर शाह के साथ झारखंड कैडर की भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की गिरफ्तार अधिकारी पूजा सिंघल की तस्वीर साझा करने पर दास के वकील एम एम तिरमिजी ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 469 (प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए जालसाजी) के तहत मामला बनता है जो कि जमानती अपराध है। इसलिए वह मौजूदा अर्जी पर दबाव नहीं देंगे।

अदालत ने कहा, ‘‘इससे पहले कि हम आगे बढ़ें, यह याद रखना चाहिए कि प्राचीन काल से ही लोग अपने ध्वज को ऊंचा रखने के लिए प्राणों की आहुति देते रहे हैं। राष्ट्रीय ध्वज कहे जाने वाले कपड़े के टुकड़े में क्या इतना सम्मोहक होता है कि लोग इसके लिए सर्वोच्च बलिदान तक देते हैं। राष्ट्रीय ध्वज, निर्विवाद रूप से पूरे राष्ट्र, उसके आदर्शों, आकांक्षाओं, उसकी आशाओं और उपलब्धियों के लिए फहराता है।’’ दास ने यहां एक सत्र अदालत द्वारा उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के बाद उच्च न्यायालय का रुख किया था। इससे पहले बंबई उच्च न्यायालय ने दास की ट्रांजिट अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।

दास ने स्वरा भास्कर, संजय मिश्रा और पंकज त्रिपाठी अभिनीत 2017 की फिल्म ‘अनारकली ऑफ आरा’ तथा 2021 में रिलीज हुई ‘रात बाकी है’ का निर्देशन किया है। उन्होंने नेटफ्लिक्स पर ‘शी’’ नामक एक सीरीज को भी निर्देशित किया है।