जींद : सोमवती अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने किया पिंडदान

Doing charity on Somvati Amavasya is more fruitful.


जींद, 8 अप्रैल (हि.स.)। पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर सोमवार को सोमवती अमावस्या पर हजारों श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान किया तथा पिंडदान कर पितृ तर्पण किया और सुखद भविष्य की कामना की। ऐतिहासिक पिंडतारक तीर्थ पर रविवार शाम से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। रविवार की पूरी रात धर्मशालाओं में सत्संग तथा कीर्तन आदि का आयोजन चलता रहा।

सोमवार को तड़के से ही श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान तथा पिंडदान शुरू कर दिया जो मध्यान्ह के बाद तक चलता रहा। इस मौके पर दूर दराज से आएं श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया तथा सूर्यदेव को जलार्पण करके सुख समृद्धि की कामना की। पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। बाद में सोमवती अमावस के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया।

तभी से यह माना जाता है कि पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों के लोग श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालुओं ने यहां खरीददारी भी की। जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने कहा कि हिन्दू धर्मग्रंथों में सोमवती अमावस्या के दिन दान-पुण्य करने के महत्व को बहुत ही अधिक फलदायी बताया है।





हिन्दुस्थान समाचार/ विजेंद्र