कोरोना त्रासदी और स्वास्थ्य सजगता

Corona tragedy and health awareness


डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा




अमेरिकन एक्सप्रेस बैंकिंग कार्प के हालिया सर्वे में एक बात साफ हो गई है कि अब लोगों की स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता पहले से अधिक बढ़ी है। अमेरिकन एक्सप्रेस बैंकिंग कार्प समय-समय पर सर्वे कराकर लोगों के मूड को समझता रहता है। पिछले साल के अंत में कराए गए इस सर्वे में साफ हुआ है कि अब लोग युवावस्था में ही भौतिक संसाधन जुटाने, खान-पान के प्रति सजगता और हेल्दी टिप्स पर जोर देने लगे हैं। यह महत्वपूर्ण है कि कोरोना के बाद देश-दुनिया के लोगों की प्राथमिकताओं में तेजी से बदलाव आया है।

एक समय था जब लोग बचत को ही प्राथमिकता देते थे। अब लोगों की प्राथमिकता में स्वास्थ्य पहले पायदान पर आ गया है। इसमें भी खासतौर से मानसिक स्वास्थ्य और एक्सरसाइज को लेकर लोग अधिक गंभीर होने लगे हैं। लोगों में वर्कआउट के प्रति रुझान बढ़ा है। जबकि एक समय था जब वर्कआउट के लिए जिम जाने को स्टेटस सिंबल माना जाता था। मजे की बात तो यह है कि 51 फीसदी लोग कसरत करने की मशीनें घर पर ही खरीद कर रखने को तरजीह देने लगे हैं। अब लोग कर्ज लेकर घर-कार आदि आधुनिक सुविधायुक्त साधनों में निवेश करने को भी प्राथमिकता देने लगे हैं।



कोरोना के अनुभव के साथ आर्थिक उदारीकरण के युग में भागमभाग और अंधी दौड़ के चलते लोग कर्ज के जाल में फंसने को भी सहर्ष तैयार देखे जा रहे हैं। इसका कारण भी आज की नौकरीपेशा जिंदगी है। पति-पत्नी दोनों के ही नौकरी में होने, नौकरी के कारण घर से दूर रहकर घर बसाने और एकल परिवार के कारण रहन-सहन और हालातों में तेजी से बदलाव आ रहा है।



अमेरिकन एक्सप्रेस बैंकिंग कार्प के ऑनलाईन सर्वे में सामने आया है कि 76 फीसदी लोगों की पहली प्राथमिकता स्वास्थ्य है। इससे पहले स्वास्थ्य के प्रति चिंता तो रहती थी पर इतनी गंभीरता कभी नहीं देखी गई। सामान्य बीमारी को भी लोग अब गंभीरता से लेने लगे हैं। इसे स्वास्थ्य के प्रति सजगता के साथ ही अच्छा संकेत भी माना जा सकता है। स्वास्थ्य पैकेज को लेकर नित नई बीमा कंपनियां भी सामने आ रही है।

एक अच्छी बात यह है कि लोगों का पौष्टिक भोजन के प्रति रुझान बढ़ा है। समाज के किसी भी वर्ग का व्यक्ति हो वह आज अच्छा खाने में विश्वास रखने लगा है। बड़े-बड़े मॉल तक आम आदमी की पहुंच आसान हो गई है। डी-मार्ट, रिलायंस, स्मार्ट बाजार में रौनक रहने लगी है। यह बदलाव का संकेत है। भले ही आर्थिक विषमता दिन दूनी बढ़ रही हो पर इन माल्स ने लोगों में आर्थिक आधार पर भेदभाव या आर्थिक हीनता को दूर करने में बड़ी भूमिका निभाई है। सर्वे के अनुसार 73 फीसदी लोग हेल्दी फूड पर ज्यादा ध्यान देने पर जोर दिया है।



इस बदलाव में कोरोनाकाल की कड़वी यादें अहम कारक हैं। कोरोना ने अपनों से बिछुड़ते और अनादिकाल से चली आ रही परंपराओं तक को ताक में रख दिया था। हम कोरोना से प्रभावित अपनों का ही अपने हाथों अंतिम संस्कार तक नहीं कर सकते थे। आइसोलेशन की पीड़ा को सही मायने में कोरोना ने अच्छी तरह से समझा दिया। वैसे भी देश-दुनिया में तेजी से नित नई बीमारियां बढ़ती जा रही है। मच्छरजनित बीमारियां तो अब मौसम के साथ-साथ नित नए रूप में अपना प्रभाव दिखाने लगी है।



स्वास्थ्य जागरुकता और पहली प्राथमिकता में हेल्थ को रखना अच्छी बात है। यह होना भी चाहिए, क्योंकि हमारे यहां तो कहा जाता रहा है कि पहला सुख निरोगी काया। व्यक्ति का मन और तन दोनों विकार रहित होने चाहिए। हालांकि स्वास्थ्य के साथ ही दूसरी प्राथमिकता में कर्ज लेकर भी निवेश बढ़ाने पर जोर से मानसिक तनाव का बढ़ना नई समस्या को दावत दे रहा है लोन की किश्त के चक्कर में मानसिक दबाव स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है। निवेश करना अच्छा है पर कर्ज के मकड़जाल में उलझने से बचना चाहिए। केवल देखा-देखी व एक-दूसरे की होड़ में तनाव को ओढ़ना किसी भी हालत में सही निर्णय नहीं हो सकता। युवा पीढ़ी को इस दिशा में भी सोचना होगा।



हिन्दुस्थान समाचार/मुकुंद