नई दिल्ली: भारत में कोरोना की दूसरी लहर लोगों पर कहर बनकर टूटी है. देश में एक दिन में कोरोना के 3.5 लाख के करीब नए मामले सामने आ रहे हैं और हजारों संक्रमितों की मौत हो रही है. लेकिन एक सवाल लोगों को काफी परेशान कर रह है कि कोरोना के लक्षण होने के बाद भी उनका कोविड टेस्ट निगेटिव क्यों आ रहा है.

 

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान इस समय गलत निगेटिव रिपोर्ट आना बेहद खतरनाक हो सकता है. इससे इलाज में देरी हो सकती है और व्यक्ति की हालत साधारण से गंभीर हो सकती है. गलत निगेटिव रिपोर्ट आने से संक्रमण के प्रसार का खतरा भी बढ़ सकता है. सबसे पहले यह जान लेते हैं कि बुखार, सर्दी, खांसी, बदन दर्द, अत्यधिक थकान और दस्त को कोरोना के सामान्य लक्षण के तौर पर देखा जाता है. ये लक्षण दिखने पर कोरोना टेस्ट करने की सलाह दी जाती है.

 

दो तरह के टेस्ट
आपको कोरोना है या नहीं, यह जानने के लिए दो तरह के टेस्ट उपबल्बध हैं. आरटी-पीसीआर और एंटीजन टेस्ट. इनमें आरटी-पीसीआर टेस्ट को डॉक्टर्स सबसे सही मानते हैं.

 

क्या है आरटी-पीसीआर टेस्ट?
रियल टाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज चेन रिएक्शन यानी आरटी-पीसीआर टेस्ट में नाक या गले से एक नमूना (स्वैब) लिया जाता है. एक बार मरीज की नाक या गले से स्वैब लेने के बाद उसे एक तरल पदार्थ में डाला जाता है. रूई पर लगा वायरस उस पदार्थ के साथ मिल जाता है और उसमें एक्टिव रहता है. फिर इस नमूने को टेस्ट के लिए लैब में भेजा जाता है.

 

100% कोई टेस्ट सटीक नहीं
आरटी-पीसीआर टेस्ट अत्यधिक संवेदनशील होता है और काफी हद तक सही परिणाम भी देता है. यह जानना महत्वपूर्ण है कि कोई भी परीक्षण 100% सटीक नहीं है और बहुत सारे कारण हैं जिनकी वजह से एक व्यक्ति को गलत निगेटिव रिपोर्ट मिल सकती है. रिसर्च बताती है कि जबकि आरटी-पीसीआर टेस्ट शरीर में वायरल उपस्थिति का पता लगाने के लिए अच्छी तरह से काम करता है. इसकी सटीकता बहुत सारे कारकों के आधार पर भिन्न हो सकती है.