पालमपुर, 13 नवंबर (हि.स.)। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शान्ता कुमार ने कहा है कि इस बार की दिवाली एक नये तरीके से मनाई। प्रातःकाल आंखें बाद की प्रभु राम का ध्यान किया और कांग्रेस के एक प्रमुख नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम को प्रमाण किया। शनिवार के अखबार में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने एक बहुत बड़ा सच कहने की हिम्मत की थी। एक परिवार की पार्टी कांग्रेस से इस प्रकार के साहस की बहुत कम उम्मीद की जाती है।



शान्ता कुमार ने सोमवार को एक बयान जारी कहा कि आचार्य कृष्णम ने कहा कि कांग्रेस के कुछ नेता भगवान राम से नफरत करते हैं। हिन्दू शब्द से भी उन्हें नफरत है। कुछ नेता हिन्दु धर्म का अपमान भी करते हैं। मन्दिर बनाने से रोकने की कोशिश भी की गई, जो राम को नही मानता वो हिन्दू भी नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि एक कांग्रेस नेता से इस प्रकार के सच्चाई के शब्द शायद पहली बार कहे गये हैं। आचार्य सच कहने के इस साहस के लिए बधाई के पात्र हैं।





कुमार ने कहा कि भगवान राम भारत और भारतीय संस्कृति के प्रतीक है। विश्व के बहुत से देशों में हजारों वर्ष पहले हिन्दू धर्म राम के नाम से पहुंचा था। मेरी बेटी थाईलैण्ड में रहती थी। मैं कुछ समय उस देश में रहा था। वहां धर्म बौध व मुस्लिम हैं परन्तु राम का इतना प्रभाव है कि राजा के नाम के साथ राम लिखा जाता है। उन्होंने अयोध्या नाम का एक बहुत बड़ा नगर बसाया है। इंडोनेशिया, कम्बोडिया और मलेशिया जैसे देशों में भी राम के नाम से भारतीय संस्कृति को माना जाता है। उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया में हिन्दू धर्म रहा था। बाद में बहुत से लोग मुस्लमान हो गये। परन्तु आज भी वहां रामलीला होती है। एक बार भारत के मंत्री उस देश में गये तो राम लीला कि बात सुनकर हैरान हुए। उन्होंने वहां के एक मुसलमान मंत्री से पूछा- ”आप मुसलमान हैं, परन्तु यहां रामलीला क्यों होती है।“ इण्डोनेशिया के मुसलमान मंत्री का उत्तर था- ”हमारे पुरखों ने पूजा करने का तरीका बदला था, बाप दादा और संस्कृति नही बदली।



शान्ता कुमार ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के मुम्बई अधिवेशन में सुप्रीम कोर्ट के अवकाश प्राप्त चीफ जस्टिस मोहम्मद करीम छागला को भाषण करते हुए मैंने स्वयं सुना था। उन्होंने कहा था- ”हमारे पूर्वज हिन्दू थे। मेरी रगों में आज भी ऋषि-मुनियों का खून दौड़ता है।“



उन्होंने कहा कि क्या यह भारत का दुर्भाग्य नही है कि इंडोनेशिया के मुसलमान तो रामलीला करते हैं, परन्तु भारत के कांग्रेस के कुछ नेता उस श्रीराम से नफरत करते हैं। दुर्भाग्य से भारत में इसी प्रकार के लोगों के कारण लम्बे 500 साल तक राम का मन्दिर नहीं बन सका। आचार्य ने एक बहुत बड़ा सच कहा है। कांग्रेस के नेताओं को इस बात पर आत्म शुद्धिद और आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।



हिन्दुस्थान समाचार/सुनील/सुनील