हैदराबाद,:तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने मुफ्त की सौगात मुद्दे पर हो रही बहस को लेकर सोमवार को केंद्र सरकार पर तंज कसा। उन्होंने कल्याणकारी योजनाओं को मुफ्त की सौगात बताने को लोगों का ‘अपमान’ करार दिया।

सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के अध्यक्ष राव ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि वह संघीय मूल्यों को नुकसान पंहुचा रही है, राज्यों को वित्तीय रूप से कमजोर कर रही और शक्तियों को केंद्रीकृत कर रही है।

केसीआर के नाम से जाने वाले राव ने केंद्र पर आरोप लगाया कि उसने दूध और कब्रों के निर्माण सहित विभिन्न वस्तुओं पर कर लगाकर गरीब और मध्यम वर्ग पर भारी बोझ डाल दिया है।

‘मुफ्त की सौगात’ विषय पर चल रही बहस में शामिल होते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘लोगों का कल्याण सरकारों की प्राथमिक जिम्मेदारी है। केंद्र को जिम्मेदार ठहराना उचित है क्योंकि वह अपनी जिम्मेदारियों का निवर्हन किए बिना कल्याणकारी योजनाओं को मुफ्त की सौगात कह लोगों का अपमान कर रही है।’’

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में कहा था कि मुफ्त की सौगात भारत के आत्मनिर्भर बनने की राह में बाधा और साथ ही करदाताओं पर बोझ है। उन्होंने मुफ्त की सौगात की राजनीति में शामिल होने को लेकर कुछ दलों की आलोचना की थी।

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गोलकुंडा किले पर ध्वजारोहण के बाद राव ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान निर्माताओं ने संघीय ढांचा बनाया था क्योंकि वे चाहते थे कि केंद्र और राज्य मिलकर विकास की ओर बढ़ें।

उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली की मौजूदा केंद्र सरकार संघीय मूल्यों को नुकसान पहुंचा रही है। केंद्र राज्यों को वित्तीय तौर पर कमजोर करने की साजिश में संलिप्त है, यह जिस डाल पर बैठे हो उसी को काटने जैसा है।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र द्वारा एकत्रित राजस्व में से 41 प्रतिशत राज्यों को मिलना चाहिए, लेकिन वह राज्यों की हिस्सेदारी कम करने के लिए कर के बजाय सेस (उप कर) लगाकर परोक्ष रूप से राजस्व जुटा रही है। उन्होंने कहा कि इसके जरिये केंद्र वर्ष 2022-23 में राज्यों की आय में 11.4 प्रतिशत की कमी ला रही है। उन्होंने दावा किया कि केंद्र 41 प्रतिशत के बजाय 29.6 प्रतिशत हिस्सेदारी देकर राज्यों के साथ अन्याय कर रहा है।

राव ने आरोप लगाया कि यही नहीं केंद्र विभिन्न तरह की पाबंदी लगा कर राज्यों की आर्थिक आजादी को नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार सहकारी संघवाद के आदर्श की बात करती है, लेकिन वास्तव में वह सत्ता के केंद्रीकरण में संलग्न है।

उन्होंने दिल्ली में कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए जुटे किसानों को कथित तौर पर देश के प्रति विश्वासघाती के तौर पर पेश करने की भी आलोचना की तथा कहा कि प्रधानमंत्री को अंतत: माफी मांगनी पड़ी।