हैदराबाद : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को दावा किया कि उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ के बजाय ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ नाम से यह समारोह मनाने की मांग की थी।

ओवैसी ने यह दावा केंद्र सरकार द्वारा 17 सितंबर को ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ मनाने की घोषणा करने के महज कुछ घंटों के बाद किया।

उन्होंने ब्रिटिश शासकों के खिलाफ लड़ने वाले क्रांतकारियों तुर्रेबाज खान और मौलवी अलाउद्दीन के बलिदानों को याद करते हुए कहा कि हैदराबाद रियासत में रहने वाले आम हिंदुओं और मुसलमानों ने लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और गणतंत्र सरकार के तहत एकीकृत भारत की वकालत की थी।

ओवैसी ने कहा, ‘‘यह रेखांकित किया जाना चाहिए कि विभिन्न देसी रियासतों का विलय निरंकुश शासकों से क्षेत्रों को स्वतंत्र कराने भर नहीं था। सबसे अहम बात है कि राष्ट्रवादी आंदोलन ने इन क्षेत्रों के लोगों को स्वतंत्र भारत के अभिन्न अंग के तौर पर देखा। इसलिए केवल ‘मुक्ति’ शब्द का इस्तेमाल करने के बजाय ‘ राष्ट्रीय एकीकरण दिवस’ अधिक उचित होगा।’’

उन्होंने पत्र में लिखा कि हैदराबाद रियासत के लोगों का उपनिवेशवाद, सामंतवाद और निरंकुश शासन के खिलाफ संघर्ष राष्ट्रीय एकीकरण का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इसे केवल एक भूखंड को ‘मुक्त’कराने की तरह नहीं देखा जाना चाहिए।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत वह एक वर्ष तक चलने वाले कार्यक्रम के साथ 17 सितंबर को ‘‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’’मनाएगी।

केंद्रीय संस्कृति मंत्री के. जी. किशन रेड्डी ने 17 सितंबर के समारोह में आमंत्रित होने के लिए तेलंगाना, महाराष्ट्र और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है।

रेड्डी ने कहा कि कार्यक्रम में निजाम और ‘रजाकरों’ (निजाम की निजी सेना) के अत्याचार के खिलाफ लड़ने वाले लोगों के जीवन एवं बलिदान को प्रदर्शित किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि यह समारोह सरदार वल्लभभाई पटेल और अन्य को उपयुक्त श्रद्धांजलि होगी जिन्होंने हैदराबाद मुक्ति संग्राम के दौरान योगदान दिया।

इस बीच,ओवैसी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव को अलग से लिखे पत्र में कहा कि राज्य सरकार को 17 सितंबर को ‘‘ राष्ट्रीय एकता दिवस’’के तौर पर मनाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह दिन हैदराबाद में ब्रिटिश उपनिवेशवाद और निजाम के सामंती निरंकुश शासन के खिलाफ लोगों के संघर्ष के उत्सव के तौर पर मनाया जाना चाहिए।

ओवैसी के मुताबिक, इस तरह का समारोह ऐसा होना चाहिए (परोक्ष) ब्रिटिश शासन के खिलाफ इस जगह चले लंबे संघर्ष को मान्यता दे।