रांची : झारखंड सरकार ने मंगलवार को राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों के खाते में केन्द्र सरकार की तर्ज पर सरकारी अंशदान में चार प्रतिशत वृद्धि कर उसे 14 प्रतिशत करने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में आज यहां हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में इस आशय का निर्णय लिया गया।

राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने केन्द्र सरकार द्वारा एक अप्रैल, 2019 से केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए लागू इस योजना को राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए लागू करने का निर्णय लिया है। इस योजना पर वर्तमान वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार पर लगभग 342 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा।

मंत्रिपरिषद के निर्णय के अनुसार, अब एनपीएस में कर्मचारियों के खाते में राज्य सरकार कर्मचारियों के मूल वेतन और महंगाई भत्ते को जोड़कर बनी राशि का 14 प्रतिशत जमा करेगी जबकि कर्मचारी पहले की तरह दस प्रतिशत की राशि का ही योगदान करेंगे। राज्य सरकार का यह फैसला इस वर्ष पहली जुलाई से लागू होगा।

ज्ञातव्य है कि केन्द्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए पहली अप्रैल, 2019 से यह योजना लागू की थी लेकिन अनेक अन्य राज्यों की तरह झारखंड में भी अबतक यह योजना लागू नहीं थी और यहां राज्य सरकार अपने कर्मचारियों के बराबर ही उनके खातों में दस प्रतिशत का अंशदान करती थी।

इसके अलावा, कर्मचारियों से जुड़े एक अन्य फैसले में मंत्रिपरिषद ने तय किया कि अनुकंपा पर नियुक्ति के लिए अब हिंदी टाइपिंग का ज्ञान अनिवार्य नहीं होगा लेकिन हिंदी टाइपिंग सीख लेने और इसकी निर्धारित स्पीड प्राप्त करने के बाद ही नौकरी की संपुष्टि होगी।

राज्य कर्मियों को राहत देते हुए राज्य सरकार ने यह फैसला किया कि सेवाकाल में मृत्यु के उपरांत अनुकंपा के आधार पर उनके आश्रितों को नौकरी पर रखने के पूर्व हिंदी टाइपिंग जानना अनिवार्य नहीं होगा। अब आश्रितों को नौकरी दे दी जाएगी और उन्हें बाद में हिंदी टाइपिंग की अनिवार्य टाइपिंग स्पीड प्राप्त करनी होगी। ऐसा नहीं होने की स्थिति में सेवा संपुष्टि व प्रोन्नति का लाभ नहीं मिल सकेगा।

मंत्रिपरिषद के इस निर्णय से कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिलने में होने वाले विलंब से अब बचा जा सकेगा।