नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) भारत ने शुक्रवार के कहा कि पूर्वी लद्दाख में सीमावर्ती इलाके में सैनिकों के ‘पूर्ण रूप से पीछे हटने’ और तनाव समाप्त करने के उद्देश्य को हासिल करने के लिये चीन से गंभीरता से काम करने की उम्मीद करते हैं ।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में पूर्ण रूप से शांति बहाली द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण विकास के संदर्भ में जरूरी है जिसकों लेकर दोनों पक्षों में सहमति बनी थी ।

उन्होंने कहा, ‘‘ विदेश मंत्री ने हाल में एक साक्षात्कार में कहा था कि सीमा पर स्थिति और हमारे भविष्य के संबंध एक दूसरे से अलग नहीं हो सकते । ’’

उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों में पीछे हटने को लेकर व्यापक सिद्धांत पर सहमति बनी थी और इसके आधार पर पूर्व में कुछ प्रगति भी हुई ।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ मैं यह जोड़ना चाहूंगा कि जमीन पर इन सिद्धांतों को उतारना जटिल काम है जिसके लिये दोनों पक्षों को वास्तविक नियंत्रण रेखा के अपने अपने क्षेत्र में नियमित चौकियों पर सैनिकों की पुन: तैनाती की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा कि स्वभाविक है कि यह साझा रूप से सहमत आपसी कदमों के जरिये ही किया जा सकता है। जहां हम चाहते हैं कि पीछे हटने के संबंध में जारी प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरा हो, वहीं यह महत्वपूर्ण है कि इसके लिये दोनों पक्षों द्वारा सहमत कदमों को हासिल किया जाना जरूरी है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में ‘पूर्ण रूप से पीछे हटने, तनाव समाप्त करने’ तथा पूर्ण रूप से शांति बहाली सुनिश्चित करने के लिये गंभीरता से काम करेगा ।’

गौरतलब है कि सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया 6 जुलाई को शुरू हुई थी जब इससे एक दिन पहले ही दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि.... भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिकों के पूर्ण रूप से पीछे हटाने को लेकर टेलीफोन पर बातचीत हुई थी ।

सैन्य सूत्रों के अनुसार, चीनी सेना गलवान घाटी और संघर्ष के कुछ स्थानों से पीछे हटी है लेकिन पेंगांग सो, गोग्रा और देपसांग के फिंगर इलाकों ने सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी है।

भारत जोर देता रहा है कि चीन को फिंगर चार और फिंगर आठ से सैनिकों को पीछे हटाना चाहिये ।