नई दिल्ली: भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों के अधिकारियों के बीच गुरुवार को फिर बैठक हुई लेकिन पिछली चार बैठकों की तरह इस बार भी दोनों पक्ष किसी नतीजे पर पहुंचते नहीं दिख रहे हैं।

डब्ल्यूएमसीसी  की बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय का बयान कोई भी उम्मीद जगाता नहीं दिखा। चीन के विदेश मंत्रालय का देश शाम को जारी किया गया बयान भी यही संकेत दे रहा है। दोनों ही देशों की ओर से जारी बयान में आपसी सहमति बनने और शीघ्रता से सैनिकों की वापसी की बात कही गई है। 

जानकारों की मानें तो चीन के रवैए में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है। भारत ने फिर साफ किया है कि चीनी सैनिकों की पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से पूर्ण वापसी से ही शांति बहाली संभव होगी।

इस बात के भी संकेत है कि इस मसले पर बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास के साथ भी चीनी विदेश मंत्रालय एवं अन्य अधिकारियों की बातचीत जारी है। गुरुवार की बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि संयुक्त सचिव (पूर्व एशिया) और चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा एवं सामुद्रिक विभाग के महानिदेशक के नेतृत्व में बातचीत हुई।

यह बातचीत सीमा विवाद सुलझाने के लिए पहले से गठित वर्किग मैकेनिज्म फॉर कंसलटेशन एंड कोआर्डिनेशन (डब्लूएमसीसी) के तहत हुई। विदेश मंत्रालय की मानें तो दोनों ही पक्षों के बीच सीमा विवाद पर खुल कर और गहराई से चर्चा हुई।

दोनों पक्षों ने कहा है कि विदेश मंत्रियों और विशेष प्रतिनिधियों के बीच हुई बातचीत और बनी सहमति के आधार पर ही आगे कोई नतीजा निकाला जाना चाहिए। दोनों पक्ष इस बात के लिए भी तैयार हैं कि पूर्व में बनी सहमति के आधार पर ही सैनिकों की पूरी तरह से वापसी शीघ्रता से होनी चाहिए।