पुणे : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण नियमित टीकाकरण प्रभावित हुआ है और पूर्व के टीकाकरण कार्यक्रमों को दोबारा पटरी पर लाने की जरूरत है।

पुणे में विकासशील देश टीका विनिर्माता नेटवर्क (डीसीवीएमएन) की वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए मांडविया ने कहा कि भारत ने कोविड-19 रोधी टीकों की 100 करोड़ खुराक लगाने की उपलब्धि नौ महीने और 200 करोड़ खुराक लगाने की उपलब्धि 18 महीने में हासिल कर ली थी।

उन्होंने बताया कि आज देश की लगभग 70 फीसदी आबादी का कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ पूर्ण टीकाकरण किया जा चुका है।

भारत में राष्ट्रव्यापी कोरोना टीकाकरण अभियान 16 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था।

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, भारत बायोटेक, बायोलॉजिकल-ई और जायडस कैडिला जैसी टीका विनिर्माता कंपनियों की तारीफ करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इन कंपनियों ने टीकाकरण के मोर्चे पर हर कदम पर सरकार की मदद की है।

उन्होंने कहा, “मेरी आपसे (हितधारकों से) यही उम्मीद है कि आप सिर्फ कोविड-19 रोधी टीकों पर ध्यान केंद्रित न करें, बल्कि हमें नियमित टीकाकरण के बारे में भी सोचना है। कोविड-19 के कारण नियमित टीकाकरण प्रभावित हुआ है और इसे वापस पटरी पर लाने की जरूरत है। हमें इस मोर्चे पर तेजी से प्रगति करनी है।”

भारत दुनिया के सबसे बड़े सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम में से एक का संचालन करता है, जिसके तहत हर साल बच्चों समेत करोड़ों लोगों को अलग-अलग बीमारियों से बचाव के लिए कारगर टीके लगाए जाते हैं।

मांडविया ने टीकाकरण के संबंध में चार केंद्र बिंदुओं पर प्रकाश डाला, जिनमें ज्ञान, प्रौद्योगिकी, सामाजिक और आर्थिक पहलू शामिल हैं।

ज्ञान के मोर्चे पर उन्होंने विदेशी विश्वविद्यालयों और संस्थानों के साथ सक्रिय भागीदारी का सुझाव दिया। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उद्योग-अकादमिक सहयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और अनुसंधान एवं विकास पर ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है, जो भारत कर रहा है।

उन्होंने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में दुनिया में उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकी को भारत लाया जाना चाहिए, जो टीका उत्पादन के मामले में वैश्विक स्तर पर सबसे आगे है।

मांडविया ने कोविशील्ड का उदाहरण दिया, जिसका निर्माण ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश-स्वीडिश दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने किया था। टीके की तकनीक पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को हस्तांतरित की गई थी, जिसने इसका उत्पादन किया।

उन्होंने कहा कि सस्ते और अच्छी गुणवत्ता वाले टीके उपलब्ध कराना हितधारकों की प्राथमिकता होनी चाहिए।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अगर उत्पादन बढ़ाया जाता है तो कीमतों में स्वाभाविक तौर पर कमी आएगी और भारतीय टीकों को दुनिया के सभी हिस्सों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।