कोलकाता, 30 दिसंबर । लोकसभा चुनाव में केंद्र की सत्ता से नरेन्द्र मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए भले ही विपक्ष ने एकजुट होकर इंडी गठबंधन बनाया है लेकिन इसमें तालमेल बिठाना आसान नहीं हो रहा। राज्यों में माकपा, कांग्रेस और तृणमूल एक दूसरे पर तो अमूमन हमलावर रहते हैं, अब राष्ट्रीय स्तर पर भी इनमें तू-तू, मैं-मैं होने लगी है।

लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने न्याय यात्रा की घोषणा की है जिसकी शुरुआत मणिपुर से होगी। मुंबई तक जाने वाली यात्रा के दौरान 85 शहरों में इसका पड़ाव होगा जिसमें पश्चिम बंगाल के भी कई हिस्से शामिल हैं। 14 जनवरी से शुरू होने वाली यह यात्रा 20 मार्च तक चलेगी। खबर है कि यह जिन राज्यों से गुजरेगी वहां कांग्रेस के सहयोगी दलों के नेता इसमें शामिल होंगे। लेकिन बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने इससे दूरी बनाने का निर्णय लिया है।

पार्टी के एक नेता ने शुक्रवार को बताया कि राहुल गांधी की न्याय यात्रा से तृणमूल का कोई संबंध नहीं है ना इस यात्रा के संबंध में उनकी पार्टी से राय ली गई। बंगाल से न्याय यात्रा ले जाने का क्या औचित्य है, समझ में नहीं आ रहा। जब बंगाल में हम उनके सहयोगी बनने को तैयार हैं तो यह देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस नेता यहां आकर भाजपा पर हमलावर होते हैं या हमारी सरकार पर।

कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस को न्याय यात्रा की सूचना दी गई है। इसमें उनके शामिल होने की उम्मीद है और गठबंधन धर्म भी यही कहता है। लेकिन वे शामिल हों या ना हों, पूरे देश में न्याय के आश्वासन के साथ हमारी यात्रा चलेगी। वह बंगाल से भी गुजरेगी।

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा है कि बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी, ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोलते हैं। जाहिर सी बात है कि आलाकमान ने उन्हें छूट दे रखी है। एक तरफ गठबंधन की बात करेंगे और दूसरी तरफ हम पर ही हमला करेंगे तो यह स्वीकार्य नहीं होगा। उन्होंने कहा कि न्याय यात्रा से तृणमूल कांग्रेस का कोई संबंध नहीं है। कहां से गुजरेगी, क्या योजना होगी, वह कांग्रेस का निर्णय होगा लेकिन हमारे लोग इसमें शामिल नहीं होंगे।