चंडीगढ़, पंजाब सरकार ने सोमवार को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से हस्तक्षेप करने को कहा, जब रेलवे ने यह कहते हुए राज्य में मालगाड़ियों के परिचालन पर रोक बढ़ाने का फैसला किया कि प्रदर्शनकारी किसान अभी भी पटरियों को बाधित कर रहे हैं।

किसान संघों के 21 अक्टूबर को केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ कई सप्ताह से जारी अपने रेल रोको आंदोलन से माल गाड़ियों को छूट देने की घोषणा की थी, जिसके बाद राज्य में उनका परिचालन बहाल हो गया था।

रेलवे ने 22 अक्टूबर को मालगाड़ियों का परिचालन शुरू किया था, लेकिन 23 अक्टूबर को दो दिनों के लिए निलंबित करने का निर्णय किया जब कुछ किसानों ने उनका आवागमन बाधित किया।

सोमवार को राज्य में मालगाड़ियों के परिचालन पर रोक को 29 अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया, जिसके बाद पंजाब सरकार, विपक्षी दलों और किसान संघों ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी।

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि यह कदम प्रदर्शनकारी किसानों को और भड़काएगा।

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने गोयल को पत्र लिखकर कहा कि यदि मालगाड़ियों का परिचालन तत्काल शुरू नहीं किया गया तो न केवल पंजाब बल्कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख भी आर्थिक संकट का सामना करेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के साथ बातचीत की आंशिक सफलता के बाद पंजाब में माल ढुलाई बंद करने के रेलवे के फैसले ने राज्य के अब तक के प्रयासों को बेकार कर दिया है।

उन्होंने कहा कि इससे पहले राज्य सरकार किसान संघों को 22 अक्टूबर से सेवा आंशिक रूप से बहाल करने देने को लेकर मनाने में सफल रही थी।

मुख्यमंत्री ने गोयल को लिखे अपने पत्र में कहा कि हालांकि, मालगाड़ियों की आवाजाही बहाल करने के बाद रेलवे ने इसे एकतरफा रोक दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन के दौरान जब यात्री ट्रेनें पूरी तरह से बंद थीं तब भी मालगाड़ियां लगभग निर्बाध रूप से चलती रही थीं।

उन्होंने कहा, ‘‘मालगाड़ियों का परिचालन रोकने का अब कोई ठोस कारण नहीं है।’’

विपक्षी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और आम आदमी पार्टी (आप) ने भी इस कदम की निंदा की।

किसान संघों ने कहा कि केंद्र ने यह निर्णय उनके आंदोलन को ‘‘बदनाम करने और पटरी से उतारने’’ के उद्देश्य से लिया है।

शिअद नेता दलजीत सिंह चीमा ने इस कदम को ‘‘पंजाब विरोधी’’ बताया और केंद्र से इसे वापस लेने के लिए कहा। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार जानबूझकर ट्रेनें क्यों रोक रही है? इसका मतलब है कि वह किसान संघों को सबक सिखाना चाहती है।’’

आप सांसद एवं पार्टी की पंजाब इकाई प्रमुख भगवंत मान ने आरोप लगाया कि यह दिखाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य के प्रति एक ‘‘प्रतिशोधी’’ रुख अपनाया है।

इस बीच, क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि केंद्र किसानों के आंदोलन को ‘‘बदनाम’’ करने का प्रयास कर रहा है।

भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहन) महासचिव सुखदेव सिंह ने आरोप लगाया कि केंद्र किसानों से सरकार और कुछ कॉर्पोरेट घरानों का विरोध करने को लेकर बदला लेना चाहता है।

किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने इसे ‘‘पंजाब के प्रति सौतेला व्यवहार’’ करार दिया।

इससे पहले दिन में मंडल रेल प्रबंधक (फिरोजपुर मंडल) राजेश अग्रवाल ने एक विज्ञप्ति में कहा कि 23 अक्टूबर को मालगाडियों का परिचालन, तब तक नहीं करने का निर्णय किया गया, जब तक कि स्थिति पूरी तरह से बहाल नहीं हो जाती।

उन्होंने कहा कि यह रोक 24 और 25 अक्टूबर के लिए थी लेकिन इसे अब 29 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दिया गया है।

मंडल रेल प्रबंधक ने किसानों से रेल पटरियों और रेलवे स्टेशनों को खाली करने की अपील की, ताकि राज्य में ट्रेनों का परिचालन फिर से शुरू किया जा सके।

अग्रवाल ने कहा कि मौजूदा आंदोलन आंशिक रूप से वापस लेने के बाद, फिरोजपुर और अंबाला मंडलों ने मालगाड़ियों का परिचालन फिर से शुरू किया। उस अवधि में राज्य में कुल 173 मालगाड़ियों का परिचालन किया गया।