आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत हो चुकी है. गुरुवार को नहाय-खाय के साथ ही छठ पूजा की शुरुआत हुई. व्रती महिलाओं ने पूजा-अर्चना करने के साथ-साथ भगवान को भोग भी लगाया. इसके साथ ही 36 घंटे के इस महापर्व की विधिवत रूप से शुरुआत की.

 

आज (20 नवंबर) को डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा. व्रती महिलाएं आज नदियों और तालाबों में खड़े होकर डूबते सूरज को अर्घ्य देंगी. वहीं, 21 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ पूजा सम्पन्न होगी.  जानकारी के लिए बता दें कि महापर्व के दूसरे दिन व्रती महिलाएं दिन भर बिना पानी ग्रहण किए बिना उपवास रखती हैं. इसके बाद सूर्यास्त होने पर पूजा करती हैं. दूध और गुड़ से बनी खीर का भोग लगाने के बाद वे वही खाती हैं और चांद के नज़र आने तक ही पानी पीती हैं. इसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है.

आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन व्रती महिलाएं डूबते हुए सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर पहला अर्घ्य देती हैं. व्रती महिलाएं डूबते हुए सूर्य को फल और कंदमूल से अर्घ्य देती हैं. महापर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर से नदियों और तालाबों में जाकर व्रती महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देती हैं. भगवान भास्कर को दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त होता है.

शुक्रवार 20 नवंबर को सूर्योदय: 06:48 बजे और सूर्यास्त: 05:26 बजे होगा. ऐसे में व्रती महिलाएं सूर्यास्त होने से पहले भगवान सूर्य को अर्घ्य दे सकती हैं. वहीं, शनिवार 21 नवंबर को सूर्योदय सुबह 6:45 बजे होगा. व्रती महिलाएं भगवान भास्कर को दूसरा अर्घ्य इससे पहले दे सकती हैं.