हैदराबाद : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को नाटक व रंगमंच को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया और रंगमंच को सामाजिक बदलाव के कारक (एजेंट) के रूप में उपयोग करने का सुझाव दिया।

नायडू ने यहां एक नाटक साहित्योत्सव में भाग लिया और कहा कि रंगमंच-नाटक समाज में होने वाली घटनाओं को परिलक्षित करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कला के संरक्षण और उसे बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया।

एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार उन्होंने दहेज जैसी सामाजिक बुराइयों के संबंध में जागरूकता लाने में रंगमंच की ऐतिहासिक भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें अब भी समाज की कई भेदभावपूर्ण प्रथाओं को खत्म करने की क्षमता है। उन्होंने सुझाव दिया कि रंगमंच को सामाजिक बदलाव के एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

नायडू ने कहा कि स्वच्छ भारत जैसे आंदोलनों को आम लोगों के पास तक ले जाने में नाटक और लोक कलाकार अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दर्शकों, विशेषकर युवा पीढ़ी को आकर्षित करने के लिए रंगमंच कला को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी जैसे नेताओं सहित विभिन्न लोगों के बीच राजनीतिक तथा सामाजिक चेतना लाने में नाटकों की अहम भूमिका को याद किया। महात्मा गांधी अपने बचपन में सत्य हरिश्चंद्र नाटक से प्रेरित थे।

नायडू ने कहा कि थिएटर को बढ़ावा देने के लिए सरकारी संरक्षण के अलावा, निजी संगठनों, नागरिक संगठनों, खास तौर पर निजी टीवी चैनलों को आगे आना चाहिए। उन्होंने इस अवसर पर लोकप्रिय तेलुगु नाटकों वाली पुस्तक 'तेलुगु प्रसिद्ध नाटकलु' के छह खंडों का विमोचन भी किया।