वाराणसी, 24 अप्रैल (हि.स.)। वर्ष 2030 तक मलेरिया उन्मूलन की दिशा में बनारस लगातार बढ़ रहा है। मलेरिया रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग भी प्रभावी रणनीति व कार्यवाही कर रहा है। इसी का परिणाम है कि जनपद में साल दर साल मलेरिया की जांच की संख्या बढ़ी है और मरीजों की संख्या में काफी कमी आई है।



उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में जनपद में मलेरिया के 406 मरीज पाये गए थे लेकिन पिछले वर्ष सिर्फ 27 मरीज पाये गए। जनपद में संचारी व मच्छर जनित रोग नियंत्रण अभियान के साथ-साथ विभिन्न गतिविधियों, प्रचार-प्रसार की वजह से मलेरिया के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। इसी उद्देश्य से हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी के अनुसार इस बार दिवस की थीम 'अधिक न्यायसंगत दुनिया के लिए मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाना' रखी गई है। मलेरिया पर प्रभावी नियंत्रण व रोकथाम के लिए आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करने के साथ ही साथ रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (आरडीटी) किट के माध्यम से मलेरिया की जांच कर रही हैं। स्वास्थ्य कैंप के जरिये मलेरिया के मरीज चिन्हित किए जा रहे हैं। इसके अलावा हॉट स्पॉट क्षेत्रों में कोंट्रेक्ट ट्रेसिंग पर भी ज़ोर दिया जा रहा है।



एसीएमओ व नोडल अधिकारी डॉ एसएस कनौजिया ने बताया कि सभी सीएचसी, पीएचसी व आयुष्मान आरोग्य मंदिर के सीएचओ को निर्देशित किया गया है कि समय पर मलेरिया की जांच व पहचान कर मरीज को निर्धारित समय तक उपचार दिया जाये।



जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) शरद चंद पाण्डेय ने बताया कि जनपद की आबादी के अनुसार मच्छरों का घनत्व जितना कम होगा मलेरिया से उतने ही अधिक सुरक्षित होंगे। वर्तमान में सभी हॉटस्पॉट में हाउस इंडेक्स एक से कम है जो सामान्य स्थिति में है। लेकिन बारिश के मौसम और सामान्य ठंड में हाउस इंडेक्स बढ़ने लगता है, क्योंकि इन्हीं मौसम में लार्वा अधिक पनपते हैं। लार्वा न पनपे, इसके लिए प्रत्येक स्तर पर कार्यवाई की जा रही है।



डीएमओ ने बताया कि मलेरिया का प्रसार मादा एनोफिलीस मच्छर के काटने से होता है। एक अंडे से मच्छर बनने की प्रक्रिया में पूरा एक सप्ताह का समय लगता है। मलेरिया हो जाने पर रोगी को ठंड देकर नियमित अंतराल पर बुखार आना, सिरदर्द, उल्टी, पेट में दर्द, रक्त अल्पता, मांस पेशियों में दर्द, अत्यधिक पसीना आना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। समय से जांच व उपचार मिलने पर रोगी पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है।



एक नजर आंकड़ों पर



वाराणसी में पिछले सात वर्षों में मलेरिया के स्थिति की बाते करें तो वर्ष 2017 में 406, वर्ष 2018 में 340, वर्ष 2019 में 271, वर्ष 2020 में 46, वर्ष 2021 में 164, वर्ष 2022 में 78, वर्ष 2023 में 26 और वर्ष 2024 में अब तक सिर्फ एक मलेरिया रोगी पाया गया। इसके अलावा वर्ष 2022 में 1.16 लाख जबकि वर्ष 2023 में 1.67 लाख मलेरिया जांच की गईं। इस साल अब तक 43,503 जांच की गईं।



जागरूकता अभियान



विश्व मलेरिया दिवस पर गुरूवार को जनपद की समस्त पीएचसी व सीएचसी पर विशेष गोष्ठी का आयोजन, जन जागरूकता रैली आदि के साथ ही स्वास्थ्य शिविर आयोजित की जाएगी।



हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/राजेश