वासंतिक चैत्र नवरात्रि में काशीपुराधिपति की नगरी गौरी पूजन में लीन, घरों में चंडीपाठ

During Vasantik Chaitra Navratri, the city of Kashi

पहले दिन मुख निर्मालिका गौरी और मां शैलपुत्री के दरबार में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़






वाराणसी,09 अप्रैल (हि.स.)। काशीपुराधिपति की नगरी वासंतिक चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मंगलवार को आदि शक्ति के गौरी और जगदम्बा स्वरूप के आराधना में लीन है। आदि शक्ति के गौरी स्वरूप मुख निर्मालिका गौरी और शक्ति स्वरूपा जगत जननी शैलपुत्री के दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालु आधी रात के बाद से ही दरबार में पहुंचते रहे।



भोर में माता रानी की विधिवत मंगला आरती के बाद दरबार में लोगों ने हाजिरी लगाई। दोनों देवी मंदिरों में दर्शन पूजन के लिए बैरिकेडिंग में कतारबद्ध श्रद्धालु नारियल,अढ़हुल की माला और चुनरी हाथ में लेकर मां का गगनभेदी जयकारा लगाते रहे। नवरात्र के पहले दिन अलसुबह से ही घरों सहित छोटे—बड़े देवी मंदिरो में देवी गीतों, दुर्गा सप्तशदी, चंडीपाठ के स्वर गूंजने लगे। हवन पूजन में इस्तेमाल धूप, कपूर, अगरबत्ती, दसांघ समिधा, सांकला का धुआं माहौल को आध्यात्मिक बनाता रहा। जिन घरों और मंदिरों में पूरे नवरात्रि भर पाठ बैठाना था, वहां घट स्थापना शुभ मुर्हूत में हुई।



चैत्र नवरात्रि में पहले दिन (प्रथमा) को गायघाट स्थित मुख निर्मालिका गौरी के दरबार में मत्था टेकने के लिए आधीरात के बाद से ही कतार लगी रही। अलईपुर स्थित मां शैलपुत्री का आंगन और उनके दरबार की ओर जाने वाला मार्ग श्रद्धालुओं की भीड़ से पटा रहा। मंदिर में नियमित दर्शन पूजन करने वाले श्रद्धालु जय शंकर उपाध्याय,दीन दयाल मिश्र ने बताया कि माता का मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है। आदि शक्ति के मां शैलपुत्री रूप के दर्शन करने से मानव जीवन में सुख-समृद्धि आती है। भगवती दुर्गा का प्रथम स्वरूप भगवती शैलपुत्री के रूप में है। हिमालय राज के घर जन्म लेने से भगवती को शैलपुत्री कहा जाता है। भगवती का वाहन वृषभ है, उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प है। इन्हें पार्वती स्वरूप माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि देवी के इस स्वरूप ने ही शिव की कठोर तपस्या की थी और इनके दर्शन मात्र से सभी वैवाहिक कष्ट दूर हो जाते हैं।



उधर,चैत्र नवरात्रि के पहले दिन ज्यादातर लोग आदि शक्ति के प्रति श्रद्धा जताने के लिए चढ़ती उतरती के क्रम में पहले दिन व्रत रखे हुए है। लाखों महिलाओं और श्रद्धालुओं ने पूरे नौ दिन व्रत रखने का संकल्प लिया और पहले दिन से पूरे आस्था के साथ इसकी शुरूआत की।



हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/राजेश