युवाओं का सेना में भर्ती होने का सपना साकार करने में जुटा रविंद्र

Ravindra Singh Negi is busy in fulfilling the dream of 

-रविंद्र सेना में भर्ती के लिए तैयारी कर रहे युवाओं को दे रहा प्रशिक्षण




गोपेश्वर, 07 मार्च (हि.स.)। भारतीय सेना में शामिल होकर देश की सेवा करने का सपना देखने वाला रविंद्र सिंह नेगी उर्फ रिंकू भले अपने सपने पूरा नहीं कर पाया हो, लेकिन आज चमोली जिले के मुख्यालय के आसपास के सैकड़ाें युवाओं के सपने पूरे करने में पसीना बहा रहा है। वह हर रोज सुबह, शाम युवाओं को सड़कों के किनारे प्रशिक्षण देता हुआ नजर आ जाता है।



जी हां, हम बात कर रहे हैं चमोली जिला मुख्यालय के समीप पापडियाणा गांव निवासी रविंद्र सिंह नेगी जिसको रिंकू नाम से जाना जाता है। हर युवा की तरह रिंकू ने भी मन में सीमा पर जाकर देश सेवा करने का था। जिसके लिए 2017-18 में कोशिश की, लेकिन किन्ही कारणों से सेना में भर्ती नहीं हो पाया। रिंकू ने अपनी असफलता को अपनी ताकत बनाते हुए जिला मुख्यालय में रहने वाले दूर-दूर से आए युवाओं की एक प्रेरणा बनकर उन्हें निशुल्क फिजिकल ट्रेनिंग करवाई और तब से वर्तमान समय तक रिंकू के सानिध्य में ट्रेनिंग करने वाले दर्जनों युवा वर्तमान समय में देश की सीमाओं पर तैनात हैं।

रिंकू बताते हैं कि वह एक गरीब परिवार से आते हैं और ट्रेनिंग के दौरान हजारों खर्च कर पाने में असफल थे। अपनी इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने जरूरतमंद युवाओं और सेना में शामिल होकर देश सेवा का जज्बा रखने वाले युवाओं के लिए एक अकेडमी खोली और जिसमें सेवानिवृत्ति पोखरी निवासी संदीप सिंह के सानिध्य में सेना में भर्ती होने की बारीकियां सीखी और युवाओं को एकत्र कर ट्रेनिंग दी, जिसका परिणाम है कि आज उनके कई प्रशिक्षार्थी भारतीय सेवा में अलग-अलग जगह पर देश सेवा कर रहे हैं।कई बच्चे अग्नि वीर में भी चयन हो चुके हैं।



देवाल निवासी संदीप जोशी बताते हैं कि वह घर से बहुत दूर यहां पर आए हुए हैं और घर की स्थितियां ऐसी नहीं है की पढ़ाई के साथ-साथ ट्रेनिंग का भी खर्चा उठा पाए रविंद्र सिंह नेगी ने निशुल्क ट्रेनिंग देकर उनकी इस समस्या का समाधान करवाया और वह लगातार उनके सानिध्य में भारतीय सेवा में जाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।



दशोली ब्लॉक के निजमुला निवासी विकास कहते हैं कि उनके माता-पिता गांव में खेती बाड़ी कर अपना आजीविका चलाते हैं जिससे केवल पढ़ाई तक ही खर्चा वहन कर सकते हैं। इसके अलावा अगर भविष्य को लेकर कहीं पर प्रशिक्षण लेना है या ट्रेनिंग करनी है तो यह संभव नहीं हो पता है लेकिन रविंद्र सिंह की ओर से शुरू किये गए इस सराहनीय पहल से उन लोगों के भविष्य को सही दिशा मिलने की उम्मीद जगी है।



रविंद्र सिंह बताते हैं कि अगर उन्हें स्थानीय स्तर पर या शासन स्तर पर संसाधन की मदद मिलती है तो वह इससे भी बेहतरीन तरीके से अपना सर्वश्रेष्ठ देकर बच्चों को भारतीय सेवा के साथ-साथ अन्य सेवा के लिए भी तैयार कर सकते हैं। हालांकि खेल विभाग चमोली की ओर से भी इन बच्चों को समय समय पर मदद की जाती है।



हिन्दुस्थान समाचार/जगदीश/रामानुज