25 साल की उम्र से पहले यौन संबंध बनाने वालों में क्लैमाइडिया (Chlamydia Disease) ट्रैकोमैटिस का जोखिम बढ़ जाता है.

क्लैमाइडिया (Chlamydia) एक यौन संचारित रोग है, जो कि क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस बैक्टीरिया द्वारा फैलता है. यह बैक्टीरिया (Bacteria) संक्रमित व्यक्ति के मूत्रमार्ग, गर्भाशय ग्रीवा, योनि और मलाशय में मौजूद होता है. यह गले में भी रह सकता है. संक्रमित व्यक्ति के साथ किसी भी तरह के यौन संपर्क (Sex Life) में आने से यह संक्रमण फैल सकता है. क्लैमाइडिया का खतरा यौन सक्रिय युवाओं को अधिक रहता है. इस बैक्टीरिया से संक्रमित होने वाले बहुत से लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं और उन्हें अपने संक्रमित होने के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है.

myUpchar के अनुसार, क्लैमाइडिया के लक्षण आमतौर पर संक्रमित होने के एक से तीन सप्ताह के बाद दिखाई दे सकते हैं. इसमें पेशाब करने में जलन, लिंग या योनि से पीले या हरे रंग का द्रव निकलना, पेट के निचले हिस्से में दर्द, अंडकोष में दर्द और संभोग के दौरान या उसके बाद तेज दर्द आदि शामिल है.
प्रसव के दौरान बच्चे को हो सकता है संक्रमण :यह संक्रमण महिलाओं की गर्भाशय नलिकाओं यानी फैलोपियन ट्यूब को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है और भविष्य में बांझपन का कारण भी बन सकता है. यदि गंर्भवती मां इस बैक्टीरिया से संक्रमित है तो प्रसव के दौरान (जब बच्चा योनि की नली से गुजरता है) यह संक्रमण उसके बच्चे में भी पारित हो सकता है. नवजात शिशु में क्लैमाइडिया की वजह से आंखों को नुकसान और निमोनिया होता है.

इन्हें है ज्यादा जोखिम : 25 साल की उम्र से पहले यौन संबंध बनाने वालों में क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस का जोखिम बढ़ जाता है. हालांकि ऐसे लोगों को भी इस संक्रमण का खतरा है जो एक साल के अंदर अनेक व्यक्तियों के साथ यौन संबंध बनाते हैं. यदि किसी व्यक्ति को पहले कभी यौन संचारित संक्रमण हुआ हो या जो व्यक्ति कंडोम का लगातार इस्तेमाल नहीं करता है ऐसे लोगों में इस संक्रमण का जोखिम ज्यादा होता है.

निदान और इलाज: इस रोग के परीक्षण के लिए लिंग, गर्भाशय ग्रीवा, मूत्रमार्ग, गले या मलाशय से नमूना या मूत्र का नमूना लेकर उसकी जांच की जाती है. क्लैमाइडिया के लक्षण कई लोगों में नजर नहीं आते हैं तो गर्भवती महिलाओं और 25 साल से कम उम्र की महिलाओं को क्लैमाइडिया की स्क्रीनिंग करवानी चाहिए. उपचार के लिए एंटीबायोटिक थेरेपी दी जाती है जो कि 7 दिन की अवधि के लिए होती है. इसे सिंगल डोज में भी दिया जा सकता है. इस कोर्स के दौरान 7 दिनों तक यौन संभोग से बचना चाहिए, ताकि दूसरों को संक्रमण न हो.

क्लैमाइडिया से ग्रसित व्यक्ति के यौन साथी को भी संक्रमण और आगे होने वाले प्रसार से बचाने के लिए उसका परीक्षण और इलाज किया जाना चाहिए. जिन महिलाओं के यौन साथियों का इलाज नहीं किया गया है, उनमें दोबारा संक्रमण होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है.