'मन की बात' और 'पन्ना की तमन्ना'

'Mann Ki Baat' and 'Panna Ki Tamanna' 


मुकुंद

साल 1973 में एक फिल्म आई थी-हीरा पन्ना। इस फिल्म में एक गीत है 'पन्ना की तमन्ना है कि हीरा मुझे मिल जाये...।' यहां जिक्र मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के पन्ना जिले का हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम के संबोधन के 24 घंटे बाद पन्ना से बड़ी खबर निकल कर आई है कि यहां केन नदी के घड़ियाल अभयारण्य में अब सबसे आधुनिक घड़ियाल ब्रीडिंग सेंटर बनेगा। इसकी कवायद भी शुरू हो गई है। इस अभयारण्य को लुप्तप्राय घड़ियाल या भारतीय मगरमच्छ का घर कहा जाता है।

दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने 25 फरवरी (रविवार) को 'मन की बात' में जीवन में तकनीक के महत्व की बात की। उन्होंने अपने संबोधन में डिजिटल गैजेट्स की सहायता से वन्य जीवों के साथ तालमेल बिठाने का जिक्र किया। कहा- तीन मार्च को विश्व वन्य जीव दिवस मनाया जाएगा। इस साल इसकी थीम में डिजिटल इनोवेशन को सर्वोपरि रखा गया है। देश में वन्यजीवों के संरक्षण में अब तकनीक का खूब उपयोग हो रहा है। उत्तराखंड के रुड़की में विकसित ड्रोन की मदद से केन नदी में घड़ियालों पर नजर रखने में मदद मिल रही है। इस ड्रोन को रोटर प्रिसेशन ग्रुप ने देहरादून स्थित भारतीय वन्य जीव संस्थान के साथ मिलकर तैयार किया है।



केन नदी में घड़ियाल पुनर्स्थापना प्रोजेक्ट के प्रभारी रमेश कुमार मानते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की सहायता से तैयार ड्रोन के सर्वे में केन में 10 घड़ियालों की मौजूदगी सामने आई है। कटनी से लेकर उत्तर प्रदेश के बांदा तक पूरी नदी का ड्रोन सर्वे हो रहा है। यह ड्रोन पानी के भीतर की तस्वीरें लेने में सक्षम है। यह सात किलोमीटर दूर तक जाकर और पांच सेंटीमीटर तक की चीजों को मॉनिटर कर सकता है। 450 किलोमीटर लंबी केन नदी का सर्वे जल्द पूरा होने की उम्मीद है। जिस तरह पन्ना में टाइगर खत्म होने के बाद यहां दोबारा टाइगर बसाए गए, ठीक उसी तर्ज पर घड़ियालों की पुनर्स्थापना का प्रोजेक्ट शुरू होना है। इसकी पुनस्थार्पना ग्रेटर पन्ना लैंडस्कैप प्लान के तहत की जानी है।



सनद रहे 1985 में विश्व प्रसिद्ध खजुराहो के पास केन नदी और कुड़ार नदी के संगम पर रानेफॉल क्षेत्र में घड़ियाल सेंचुरी स्थापित की गई थी। तत्कालीन सरकार की उदासीनता से यहां घड़ियालों को नहीं बचाया जा सका। अब मौजूदा सरकार ने इस पर भगीरथ प्रयास शुरू किए हैं। प्रोजेक्ट प्रभारी रमेश ने कहा कि अब यहां सबसे आधुनिक घड़ियाल ब्रीडिंग सेंटर बनेगा। केंद्र सरकार ने इसकी मंजूरी दी है। इसके साथ ही पन्ना में भारत का पहला वाइल्ड लाइफ इंटीग्रेटेड लर्निंग एंड रिसर्च सेंटर भी बनेगा।



दरअसल केन मध्य भारत की प्रमुख नदी है। यह दो राज्यों मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश बहती है। केन नदी घाटी का कुल जलग्रहण क्षेत्र 28,058 वर्ग किलोमीटर है। इसका उद्गम स्थल जबलपुर जिले की कैमूर पर्वतमाला के उत्तर-पश्चिम ढलान पर अहिरगवां गांव के पास है। यह उत्तर प्रदेश के चिल्ला गांव के पास यमुना नदी में मिलती है। केन नदी के तट पर कुछ महल भी हैं। अब यह खंडहर की स्थिति में हैं। बांदा शहर केन नदी के तट पर स्थित है। यहां केन नदी अपने दुर्लभ शजर पत्थर के लिए प्रसिद्ध है। साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रीवर ऐंड पीपल संगठन ने जून 2017 में केन नदी की पदयात्रा की थी। यह तीन चरणों में अप्रैल 2018 में पूरी हुई। इस यात्रा का मकसद बांदा और पन्ना जिलों में केन नदी के तटों पर स्थित 100 ये अधिक गांवों का हाल जानना था। 60 से अधिक गांववालों से केन नदी के अतीत एवं वर्तमान स्थिति पर बात की गई। नदी क्षेत्र में जल स्रोतों की स्थिति, भू-जल स्तर, खेती-सिंचाई, वन-वनस्पति, पशु-पक्षी, केन-बेतवा नदी जोड़ योजना, नदी बाढ़ प्रकृति, केन नदी जैव विविधता आदि नदीतंत्र संबंधी अनेक विषयों पर ग्रामीणों, किसानों, मछुआरों, मल्लाहों और महिलाओं से विस्तृत चर्चा की गई।

बुंदेलखंड में जल-जंगल-जमीन की लंबे समय से चिंता कर रहे चित्रकूटधाम कर्वी के सामाजिक कार्यकर्ता आलोक द्विवेदी और जखनी जलग्राम के संस्थापक पद्मश्री उमाशंकर पाण्डेय कहते हैं कि पन्ना में होने वाली यह बड़ी पहल प्रधानमंत्री मोदी के वन्य जीवन प्रेम का बड़ा उदाहरण है। प्रधानमंत्री के संबोधन से साफ है कि उनकी सरकार के प्रयासों से देश में बाघों की संख्या बढ़ी है। महाराष्ट्र के चंद्रपुर के टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 250से ज्यादा हो गई है। चंद्रपुर जिले में इंसान और बाघों के संघर्ष को कम करने के लिए एआई की मदद ली जा रही है। वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में इस तरह के प्रयासों से देश की जैव विविधता और समृद्ध हो रही है। प्रधानमंत्री ने याद दिलाया है कि भारत में तो प्रकृति के साथ तालमेल हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है। हम हजारों वर्षों से प्रकृति और वन्य जीवों के साथ सह-अस्तित्व की भावना से रहते आए हैं। इसका अनुभव महाराष्ट्र के मेलघाट टाइगर रिजर्व में किया जा सकता है।



(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)