भोजपुरी फिल्मों को अश्लीलता से बचाने को अभिनय कर रहे इंस्पेक्टर आनंद ओझा

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बलिया, 05 मार्च (हि.स.)। उत्तर प्रदेश पुलिस में इंस्पेक्टर आनंद ओझा भोजपुरी फिल्मों के जाने-माने अभिनेता हैं। पुलिस की नौकरी में रहते अब अभिनय करना उनका जुनून है। जिसके लिए कभी उन्होंने महज 13 रुपये के साथ घर छोड़ दिया था। फिलहाल भोजपुरी फिल्मों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके आनंद का एक ही मकसद है, भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता रोकना।



बिहार के आरा जिले के दोघरा गांव के किसान पिता की संतान आनंद ओझा फिलहाल आगरा में पुलिस इंस्पेक्टर हैं। अभिनेता बनाने के लिए इनके संघर्ष की कहानी भी फिल्मी है। बचपन से ही हीरो बनने का सपना देखने वाले आनंद ओझा को जब लगा कि पिता जी हीरो बनने के लिए जाने नहीं देंगे तो हाईस्कूल की बोर्ड परीक्षा देकर सिर्फ 13 रुपये लेकर एक दोस्त के साथ हवाई चप्पल पहनकर हीरो बनने का जज्बा लिए 1995 में मुंबई के लिए निकल गए। घर से निकले तो जबलपुर पहुंच कर बस तीन रुपये बचे थे। बिना टिकट यात्रा करने पर टीटीई द्वारा ट्रेन से उतार दिए जाने पर वहीं से दोस्त के समझाने पर लौट आये।

छह माह बाद फिर दोस्त के साथ भाग कर मुंबई गए। जहां छह माह वाचमैन की नौकरी की। इस दौरान काम मांगने के लिए अलग-अलग स्टूडियो में घूमते थे। लेकिन काम नहीं मिला। तभी इनके पिता जाकर पकड़ लाए। फिर पढ़ाई शुरू हुई। हालांकि स्नातक के दौरान दूसरी बार दो साल बाद भाग कर फिर मुंबई गए। तब छह माह रहे। दोबारा पिता के कहने पर वापस आ गए। घर आने पर यूपी में दरोगा भर्ती का फार्म भरा।

एक अनाम भोजपुरी फिल्म की शूटिंग के लिए बलिया आए आनंद ओझा ने हिन्दुस्थान समाचार प्रतिनिधि से अपने संघर्ष की कहानी के बारे में बताया कि सोचा कि अब अपने पैर पर खड़े होकर हीरो बनने का सपना पूरा करेंगे। रोजाना अट्ठारह घंटे पढ़ाई शुरू की। आखिरकार 2001 में दरोगा बनने में सफलता मिल गई। कहा कि मुझे लगता है कि बच्चे सपने देखना शुरू करें तो ईश्वर भी मार्ग प्रशस्त कर देता है। कहा कि 2005 में मैं सोचता था कि हीरो नहीं बन पाऊंगा। तभी बिहार के रहने वाले फिल्मकार निर्मल पाण्डेय आये और एक छोटा रोल ऑफर किया। बाद में उस फिल्म से हीरो निकल गया तो मुझे हीरो का रोल मिल गया। वह फ़िल्म पैसे के अभाव में 17 दिन की शूटिंग के बाद बंद हो गई। जो कि आज तक नहीं बन पाई। लेकिन अब नौकरी से ज्यादा हीरो बनने पर मन लगने लगा। पहली फ़िल्म के बाद दो तीन और फिल्मों से सेट पर रहने के बाद बाहर हो गया।

उन्होंने बताया कि 2013 में आशिकी फेम राहुल राय के साथ भोजपुरी फिल्म सबसे बड़ा मुजरिम किया। यह मेरी पहली फ़िल्म थी जो पर्दे पर आई। उसके बाद अब नौकरी की वजस से साल में एक या दो फिल्में करते हैं। काफी डिमांड के बाद भी सिर्फ एक या दो फिल्में ही करता हूं। कहा कि मैं फिल्में वही करता हूं जिसमें भाषा और संस्कृति को क्षति न पहुंचती हो। उन्होंने कहा कि किसी भी फिल्म में किसिंग सीन नहीं करूंगा, यह मेरा प्रण है।

ओझा ने कहा कि भोजपुरी बहुत मीठी भाषा है। इसे बचाए रखने की जिम्मेदारी भी हम सब पर है। विभागीय अनुमति लेकर फिल्में करने वाले आनंद पारिश्रमिक नहीं लेते। बोले, मैं फिल्मों से कुछ लेता नहीं। क्योंकि मैं अपने शौक और भोजपुरी को समृद्ध करने के लिए अभिनय करता हूं।

उल्लेखनीय है कि आनंद ओझा साल 2005 से 2016 तक मुख्यमंत्री की सुरक्षा में थे। अभी इनकी एक भोजपुरी फिल्म माही आने वाली है। सर्विस वाली बहुरिया हाल ही में रिलीज हुई है। अभी जिस अनाम फ़िल्म की शूटिंग आनंद ओझा कर रहे हैं, उसमें गजनी फेम खलनायक प्रदीप रावत भी हैं। आनंद के अपोजिट नेपाल की अभिनेत्री है। पति-पत्नी के संवेदनशील रिश्ते पर मंजुल ठाकुर द्वारा बनाई जा रही फिल्म में आनंद के अलावा मनोज टाईगर और अंजना सिंह हैं। इसके पहले रण, लव एक्सप्रेस और कुम्भ निवास आनंद ओझा की ब्लॉकबस्टर फिल्में रही थीं।

आनंद ओझा ने कहा कि यूपी में अभी इतना अच्छा माहौल है कि करीब पचास भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग चल रही है। साउथ से भी निर्माता-निर्देशक आकर अपनी फिल्में यहां बना रहे हैं। आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश फिल्मों का हब बनेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/राजेश