बलौदाबाजार, 30 मार्च (हि.स.)। कलेक्टर के एल चौहान के निर्देश पर जिले में सघन कुष्ठ खोज अभियान (द्वितीय चरण )का कार्य सम्पन्न हुआ।

अभियान के दौरान 11 सौ संदेहास्पद मरीज पाए गए जिन्हें आगे की जांच और आवश्यकता पड़ने पर उपचार के लिए उच्च संस्था रिफर किया गया है। इसमें विकासखंड बलौदाबाज़ार में 327,भाटापारा में 386 ,कसडोल में 83,पलारी में 176,तथा सिमगा में 128 संदेहास्पद मिले हैं।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एम पी महिस्वर ने बताया कि, मितानिनों द्वारा घर-घर भ्रमण कर लक्षण के आधार पर सन्देहास्पद मरीजों की पहचान की गई उसके बाद उनका एक बार पुनःअवलोकन ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक और एनएमए के द्वारा किया गया। आगे की जाँच और उपचार हेतु उन्हें नजदीक के उच्च चिकित्सा संस्था रिफर किया गया है। जहां बीमारी पाए जाने की दशा में उपचार आरंभ किया जाएगा।

राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ कल्याण कुरुवंशी के अनुसार, कुष्ठ एक संक्रामक रोग है जो माइक्रो बक्टेरियम लेप्री नामक जीवाणु से होता है। इससे संक्रमित व्यक्ति में लक्षण लंबे समय बाद प्रकट होते हैं। तैलीय लाल धब्बे, त्वचा में सुन्नपन, भौहों और नाकों की विकृति, हाथ पैर में विकृति, पैरों में दर्द रहित छाले,आखों की नसों में तकलीफ ये कुछ लक्षण हैं जो कुष्ठ की ओर इशारा करते हैं। जांच कर के इसका उपचार किया जाता है। एम डी टी की दवाई जो 6 से 12 माह तक चलती है उसके सेवन से कुष्ठ ठीक हो जाता है। जिला सलाहकार श्वेता शर्मा के अनुसार जिले में वर्तमान में कुष्ठ के 234 मरीज उपचाररत हैं। मरीज अपनी देखभाल अच्छे से कर सकें इसके लिए समय समय पर पीओडी (प्रिवेंशन ऑफ डिफार्मिटी) कैम्प भी लगाए जाते हैं जिसमें जल तेल उपचार सहित विशेष चप्पल भी दी जाती है। अंगों की विकृति ठीक करने हेतु आवश्यकता पड़ने पर सर्जरी भी की जाती है। कुष्ठ के मरीज के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिए।



हिन्दुस्थान समाचार/ गायत्री प्रसाद