पूर्वी लद्दाख के गलवान में चीन की धोखेबाजी से पूरा देश गुस्से में है. देश के हर शहर में विरोध प्रदर्शन हो रहा है और चीनी सामानों के बहिष्कार की मांग तेज हो गई है. इस बीच सरकार ने 59 चीनी ऐप पर बैन लगा दिया है. इसके साथ कई प्रोजेक्ट रद्द कर दिया है. भारत ने चीन के खिलाफ आर्थिक लड़ाई छेड़ दी है. अब जानिए ड्रेगन को कितनी गहरी चोट पहुंचने वाली है.

चीन से भारत जो सामान आयात करता है, उसमें सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक सामान हैं. हम चीन से करीब 34 फीसदी इलेक्ट्रिक सामान मंगाते हैं. इलेक्ट्रिक सामानों के अलावा न्यूक्लियर रिएक्टर और मशीनरी चीन से मंगाई जाती है. इसकी संख्या करीब 18 फीसदी है. चीन से हम 10 फीसदी ऑर्गेनिक केमिकल्स मंगाते हैं.

इसके अलावा चीन से हम करीब 6 फीसदी माणिक और जेवरात मंगाते हैं, लोहा और इस्पात करीब 4 फीसदी मंगाते हैं. चीन से हम 4 फीसदी प्लास्टिक के सामान मंगाते हैं, जबकि बाकी के अन्य 24 फीसदी सामान हैं जो हम चीन से मंगाते हैं. वित्त वर्ष 2017-18 में भारत ने 507 अरब डॉलर का आयात किया था. इसमें चीन की हिस्सेदरी 14 फीसदी यानी 73 अरब डॉलर थी.

चीनी सामानों की बिक्री में गिरावट

भारत इस वक्त सैन्य और आर्थिक, दोनों ही मोर्चे पर चीन से निपट रहा है. चीन के साथ किए गए करार जहां रद्द किए जा रहे हैं. वहीं चीन से आने वाले गैर-जरूरी सामानों पर ड्यूटी बढ़ने वाली है. देश के लोगों में भी भारी आक्रोश है. इस वजह से चीन के सामानों की बिक्री में भारी गिरावट आई है.